Haryana roadways : रोडवेज को नए लुक की 5 बस मिलने के बावजूद बेड़े में कमी, यात्री परेशान
- डिपो में स्वीकृत 180 बसों की तुलना में केवल 129 बस
- बसों की कमी के कारण यात्री निजी वाहनों में खा रहे धक्के
;
नारनौल। लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने में हरियाणा रोडवेज की बड़ी भूमिका रही है, लेकिन आजकल रोडवेज बेड़े में बसों की कमी लोगों पर भारी पड़ रही है। जिले में यात्रियों को अब भी आबादी के अनुरूप रोडवेज बसें उपलब्ध नहीं हो पा रही। सरकार ने जिला के लिए 180 बसें स्वीकृत कर रखी हैं, लेकिन इनमें से फिलहाल केवल 129 बसें ही जिले के विभिन्न रूटों पर चल रही हैं। इस कारण यात्री निजी वाहनों से आवागमन करने को मजबूर हो रहे हैं।
डिपो को करीब 30 नई बसें मिल चुकी हैं, लेकिन यात्रियों को बेहतर सुविधा नहीं मिली। हाल ही में पांच नई छोटी बसें नए लुक वाली मिली हैं, जिनके आवश्यक दस्तावेज पूरे होने पर छोटे ग्रामीण रूट पर उतारे जाने की योजना है। संभावना है कि इस माह के अंत तक पांचों नई बसें सड़कों पर दौड़ती नजर आएं। लेकिन यात्रियों को इन बसों का कितना लाभ मिलेगा, यह देखना होगा। उल्लेखनीय है कि जिला महेंद्रगढ़ में एक नगर परिषद, चार नगर पालिकाएं, लगभग 343 ग्राम पंचायत एवं 125 ढाणियां हैं, जिनमें लगभग 13 लाख की आबादी बसती है।
जिन लोगों के पास आवागमन के निजी साधन हैं, उनके अलावा भी बहुत सारी ऐसी आबादी है, जिसे गांवों से शहर या अन्य जगहों पर आवागमन के लिए बसों व अन्य साधनों की आवश्यकता होती है। हरियाणा रोडवेज ने ऐसे लोगों के लिए रोडवेज बसें चला रखी हैं, जो यात्रियों के आवागमन में सहूलियत प्रदान करती हैं। हरियाणा राज्य परिवहन विभाग ने जिला के लिए लगभग 180 बसें स्वीकृत कर रखी हैं, लेकिन वर्तमान में केवल 129 बसें ही विभिन्न रूटों पर चल रही हैं। इन बसों में से ज्यादातर बसें लंबे रूटों यानि दिल्ली, जयपुर, अलवर जैसे प्रमुख मार्गों पर चलती हैं। बसों की कमी के कारण छोटे रूट यानि ग्रामीण आबादी को बसें मुहैया नहीं हो पा रही। इस कारण यात्री गांवों से शहर की ओर आने वाले ऑटो या अन्य वाहनों से आवागमन करने को मजबूर हो रहे हैं।
निजी वाहनों को हो रहा बसों की कमी का फायदा
हरियाणा रोडवेज की बसों में यात्रा करना लोगों में काफी लोकप्रिय है, लेकिन जिन गांवों में बसें उपलब्ध नहीं हैं, वहां निजी बसें या अन्य वाहन चांदी कूट रहे हैं। कमाल की बात यह है कि इनका किराया भी मनमाना होता है। यह रोडवेज द्वारा लागू किराए की भी परवाह नहीं करते। इस कारण अनेक बार यात्रियों की इनके साथ माथापची करते हुए देखा जाता है।
बसों की कमी से विद्यार्थियों को नुकसान
रोडवेज बसों की कमी का नुकसान केवल आमलोगों को ही नहीं, विद्यार्थियों को भी हो रहा है। रोडवेज बसें नहीं चलने से उनको रियायती दरों पर मिलने वाले बस पास का लाभ नहीं मिल पा रहा। वह पूरा किराया देकर गांव से शहर के स्कूल या कॉलेज आते हैं। शहर में रोजगार के लिए आने वाले दैनिक यात्रियों को भी इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
डिपों में बसों की स्थिति
नारनौल डिपो के बेड़े में 180 रोडवेज बसें स्वीकृत हैं, लेकिन फिलहाल केवल 129 बसें ही चल रही हैं। इनमें से एक साल की अवधि में मिली 57 सीटर 25 नई बसें भी शामिल हैं। 14 मिनी बसें हैं तथा 20 बसें लीज वाली प्राइवेट संचालकों की बसें हैं। पुरानी कंडम हो चुकी बसों को बंद किया जा चुका है। फिलहाल स्वीकृत बसों के अनुपात में करीब 51 बसों की और दरकार है।
यह कहते हैं अधिकारी
रोडवेज के जिला निरीक्षक विक्रम सिंह यादव ने बताया कि नारनौल डिपो को बीते बुधवार को नए लुक वाली पांच बसें मिली हैं। उनकी पासिंग करवाई जा रही है। इससे पहले इनकी आरसी एवं इंश्योरेंस करवाया जाना है। यह सारी प्रक्रिया इसी माह पूरी कर ली जाएगी। फिलहाल बसों की कमी जरूर है, लेकिन 30 बसें और मांगी हुई हैं। संभव है कि वह मिलने से कुछ कमी जरूर पूरी हो सकेगी।