दहिया खाप की प्रधानी का मामला एक बार फिर विवादों में, 5 फरवरी को बुलाई पंचायत

विवाद के बीच सुरेंद्र दहिया ने शनिवार को प्रेस वार्ता करके बताया कि उनके पास वे तमाम सबूत मौजूद हैं, जब उन्हें दहिया चबूतरे के ऊपर पगड़ी बांधकर ससम्मान प्रधान बनाया गया था।;

Update: 2022-01-29 13:09 GMT

हरिभूमि न्यूज : खरखौदा ( सोनीपत )

दहिया खाप की प्रधानी को लेकर उठे ताजा विवाद के दृष्टिगत सुरेंद्र दहिया ने शनिवार को प्रेस वार्ता की। उन्होंने स्पष्ट किया कि खाप पंचायत के प्रधान का चुनाव दहिया खाप के चबूतरे पर किया जाता है। शुक्रवार को जिस तरीके से तथाकथित प्रधान ने इस्तीफा दिया है, वह सामाजिक परम्परा के खिलाफ है। गौरतलब है कि जाट आरक्षण आंदोलन के समय यशपाल मलिक ने बहुत सारी खापों में अपने स्वार्थ के लिए खाप प्रधान बनाए थे। इस लिहाज से उनका इस्तीफा देने का कोई मतलब नहीं है। जिस पंचायत में इस्तीफा देने की घोषणा की गई उसमें यह सवाल खड़े किए गए कि परम्परानुसार चबूतरे पर सुरेंद्र बानिया को प्रधान ही नहीं बनाया गया। उक्त आरोप गलत व निराधार है। जबकि उनके पास वे तमाम सबूत मौजूद हैं, जब उन्हें दहिया चबूतरे के ऊपर पगड़ी बांधकर ससम्मान प्रधान बनाया गया था।

सुरेंद्र दहिया ने कहा कि दरअसल उन्होंने स्वार्थी व अवैध कब्जा धारी कुछ लोगों का साथ नहीं दिया, तो वे लोग दूसरे पक्ष के प्रधान के साथ मिलकर उनका विरोध करने लगे। जो लोग उनका विरोध कर रहे हैं। उन्होंने गलत कार्य करने वाले लोगों का कभी साथ नहीं दिया है। इसके विपरीत दहिया खाप के लोगों ने उन्हें लगातार प्रधान पद पर बनाए रखा है। इसी संदर्भ में 5 फरवरी को दहिया खाप चबूतरे पर बैठक बुलाई गई है। जिसमें गांव के लोगों द्वारा दहिया खाप के प्रधान का निर्णय दिया जाएगा।  वहीं अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान नरेश दहिया का कहना है कि दहिया खाप में जो दो प्रधानों का विवाद चला आ रहा है, वह नहीं होना चाहिए। प्रत्येक खाप में केवल एक प्रधान बनाए जाने की परम्परा रही है । खाप के द्वारा लिए गए निर्णयों से ही सामाजिक विवादों का निपटारा किया जाता था। उन्होंने लोगों का आह्वान किया कि खाप में केवल एक को ही प्रधान चुना जाना चाहिए। जिससे सामाजिक परंपरा कायम रह सके।

Tags: