छोटे कर्मचारियों के लिए नायब तहसीलदार ने उठाई आवाज, बोले- आठ साल में मेरे 10 ट्रांसफर हो चुके, सस्पेंड होने का भी डर नहीं
रेवाड़ी के कार्यवाहक नायब तहसीलदार कपिल लांबा (इलेक्शन) ने संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी के साथ चल रही वीडियाे कांफ्रेसिंग में 20 साल से 20 हजार की नौकरी करने वाले काम कर रहे डाटा एंट्री ऑपरेटर्स व ठेके के कर्मचारियों को पक्का करने की पॉलिसी नहीं बनाने पर आवाज उठाई।;
रेवाड़ी। रेवाड़ी के कार्यवाहक नायब तहसीलदार कपिल लांबा (इलेक्शन) ने संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी के साथ चल रही वीडियाे कांफ्रेसिंग में 20 साल से 20 हजार की नौकरी करने वाले काम कर रहे डाटा एंट्री ऑपरेटर्स व ठेके के कर्मचारियों को पक्का करने की पॉलिसी नहीं बनाने को लेकर अपनी ही सरकार को खरी-खरी सुना दी। उन्होंने कहा कि स्टॉर लगने से कोई अफसर नहीं बन जाता, बल्कि अपने साथ काम करने वाले कर्मचारियों के हकों की लड़ाई लड़ने वाला ही सच्चा अफसर होता है। जब ऑफिस का काम करने वाले कर्मचारियों की हकों की बात आती है तो सभी मुंह फेर कर निकल जाते हैं और जब काम की बात आती है तो एक घंटे की देरी होती ही हम उनकी और ऊपर वाले हमारी लेनी कर लेते हैं।
कपिल लांबा ने कहा कि आगे से मैं व मेरे ऑफिस का कोई कर्मचारी वीसी में शामिल नहीं होगा तथा ऑफिस में लगी एलईडी भी उतार देंगे। मेरे अंदर शेर का जिगरा है और वहीं मेरे साथ आ सकते हैं जिनमें शेर का जिगरा होगा। मेरे साथ आने का मतलब है चंद मिनट में चार्जसीट मिलना और निलंबन। अपनी आठ साल की सर्विस में मेरे अब तक 10 ट्रांसफर हो चुके हैं, कई बार चार्जसीट व निलंबन हो चुका है। फिर भी मुझे इसकी परवाह नहीं है तथा मैं कर्मचारियों के हकों की आवाज उठाता रहूंगा। आज होने वाली वीडियो कांफ्रेसिंग खत्म होने के बाद मंगलवार को मैं नायब तहसीलदार रेवाड़ी के रूप में प्रदेश के सभी तहसीलदार व नायब तहसीलदार को डॉटा एंट्री ऑपरेटर्स व कर्मचारियों को पक्का करने के प्रफोमा के साथ पत्र लिखूंगा, ताकि उसे प्रदेश के मुख्य सचिव को भेजकर कर्मचारियों को पक्का करने की मांग उठाई जा सके।
कपिल लांबा ने कहा कि हमारे साथ काम करने वाले कर्मचारियों की जिंदगी है। 20 सालों से 50 फीसदी से अधिक काम वहीं करते आ रहे हैं, हम तो केवल साइन करते हैं। आज भी वह 20 हजार की नौकरी कर रहे हैं। ना कोई इंक्रीमेंट और ना ही किसी सरकारी पॉसिली का लाभ। बाकी कर्मचारियों की तरह वह भी कर्मचारी है कोई आंतकवादी नहीं। सैक्रटरी साहब 1997, 2000 व 2006 से काम करने वाले जूनियर प्रोग्राम ऑफिसर, डाटा एंट्री ऑपरेटर जैसे कर्मचारी पक्के होते हैं तो ना आपकी जेब से कुछ जाएगा और ना मेरी जेब से। जिस सरकार के लिए काम करते हैं, उसी सरकार को सबकुछ देना है। फिर अपने निलंबन व चार्जसीट के डर से हमें उनके हितों में आवाज क्यों नहीं उठा पा रहे हैं।
मैं अपनी बात पर कायम
कार्यकारी नायब तहसीलदार इलेक्शन कपिल लांबा ने कहा कि मैनें कर्मचारियों हित में यह बात कही थी तथा आज भी मैं अपनी बात पर कायम हूं। भले ही मुझे सस्पेंड क्यों न कर दिया जाए। मुझे दुख होता है जब कार्यालय का 50 फीसदी से अधिक काम करने वाले को 20 हजार वेतन देते हैं। कोरोना काल के दौरान अपने विभाग में हुई मौत के बाद मैने कर्मचारियों के हित में आवाज उठाने का निर्णय लिया था तथा सोमवार को संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी के सामने मैने वह उठा दिया। सभी तहसीलदारों व नायब को भेजने के लिए पत्र भी डिस्पैच कर दिया गया है।