महिलाओं काे अपनी व्यथा सुनाने व उनका समाधान करवाने का सहारा बना वन स्टॉप सेंटर, ऐसे उठाएं फायदा
जिला प्रशासन, पुलिस व जिला न्यायवादी की सहायता से मामलों का निपटारा किया जाता है। सैंटर में कानूनी सलाहकार, मनोवैज्ञानिक, स्वास्थ्य कर्मचारी की निगरानी में पीडि़त महिला या बच्चों को उचित परामर्श दिया जाता है।;
हरिभूमि न्यूज, चरखी दादरी
दादरी में वनस्टॉप सेंटर के रूप में महिलाओं को अब अपनी व्यथा सुनाने व उनका समाधान करवाने का सबसे बड़ा सहारा मिल गया है। अभी तक यहां महिलाओं व बाल अपराध से संबंधित 411 मामले आ चुके हैं, जिनमें से पीड़ित पक्ष को न्याय दिलवाने के लिए 335 मामलों का सेंटर की ओर से निपटारा कर दिया गया है।
वनस्टॉप सेंटर प्रभारी एकता श्योराण ने बताया कि करीब अढाई साल पहले वर्ष 2019 मार्च माह में दादरी शहर के लोहारू रोड के समीप वन स्टॉप सेंटर की शुरुआत की गई थी। यह सेंटर दादरी जिला में महिला जागरूकता का एक प्रमुख केंद्र बनता जा रहा है। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा चलाया जा रहा यह सेंटर इस उद्देश्य से स्थापित किया गया था कि यहां मानसिक रूप से परेशान या अत्याचार से पीडि़त महिलाओं को उम्मीद की एक राह मिल सके। अपने मकसद को कामयाब कर रहे इस सेंटर में कोई न कोई महिला अपनी समस्या लेकर आती रहती है, जिसका यथासंभव समाधान करवाने का प्रयास किया जाता है।
एकता श्योराण ने बताया कि अभी तक सैकड़ों महिलाओं व बच्चों को वन स्टॉप सेंटर से मदद मुहैया करवाई गई है। पुलिस थानों या सीधे तौर पर 411 मामले यहां आए हैं। जिनमें घरेलू हिंसा से संबद्ध 138, यौन उत्पीड़न के 9, मानव तस्करी के दो, साइबर क्राइम के पांच, गुमशुदा के 8, अन्य 233, दुष्कर्म का एक, अपहरण के चार, लड़की को भगाकर ले जाने 9, बाल विवाह का एक और महिला पर हमला करने का एक केस शामिल है। इनमें से 335 मामले निपटा दिए गए हैं और शेष में कार्यवाही की जा रही है। उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन, पुलिस व जिला न्यायवादी की सहायता से मामलों का निपटारा किया जाता है। सेंटर में कानूनी सलाहकार, मनोवैज्ञानिक, स्वास्थ्य कर्मचारी की निगरानी में पीड़ित महिला या बच्चों को उचित परामर्श दिया जाता है।
सेंटर प्रभारी ने बताया कि पंचकूला से 181 हेल्पलाइन की सेवाएं 24 घंटे जारी रहती है। कोई भी महिला इस नंबर पर फोन कर अपनी समस्या को बता सकती है। इसमें कोई मामला दादरी जिला का हुआ तो उसे उनके पास सूचना मिल जाती है, जिसके बाद वे अपना काम शुरू कर देते हैं। एकता श्योराण ने बताया कि समझाने-बुझाने से भी परिवार का मनमुटाव दूर होता है और महिलाओं को अपना खोया हुआ सम्मान वापस मिलता है।