किसानों पर आफत : यमुनानगर में बारिश और हवा से खेतों में बिछी पकने को तैयार खड़ी धान की फसल
- किसानों की मेहनत पर फिरा पानी, लाखों का नुकसान होने की संभावना
- अनाज मंंडियों में भी खुले आसमान के नीचे पड़ा हजारों क्विंटल धान बारिश में भीगा
- मौसम विभाग द्वारा अलर्ट करने के बावजूद अनाज मंडियों में नहीं किए गए इंतजाम
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हरिभूमि न्यूज. यमुनानगर
बारिश और हवा चलने से जिले में कई स्थानों पर खेतों में पकने को खड़ी धान जमीन पर बिछ गई। वहीं, अनाज मंडियों में भी खुले आसमान के नीचे पड़ा हजारों क्विंटल धान भीग गया। जिससे किसानों की छह महीने की मेहनत पर पानी फिर गया और उन्हें नुकसान होने की संभावना बन गई। खास बात यह है कि मौसम विभाग द्वारा पहले ही अलर्ट जारी करने के बावजूद अनाज मंडियों में बारिश से भीगने से धान को बचाने के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए।
मंगलवार तड़के चार बजे आसमान में घने बादल छा गए और हवा के साथ तेज बारिश शुरू हो गई। बारिश सुबह दस बजे तक होती रही। जिसकी वजह से जिला के जठलाना क्षेत्र समेत कई स्थानों पर हजारों एकड़ में पकने को तैयार खड़ी धान की फसल जमीन पर बिछ गई। वहीं, कई अनाज मंडियों में खुले आसमान के नीचे पड़ा लाखों क्विंटल धान भीग गया। हालांकि इस दौरान कुछ आढ़तियों व किसानों ने अपनी धान की ढेरियों पर तिरपाल व पन्नी आदि डालकर बचाने का प्रयास किया। मगर अधिकांश ढेरियों पर ढकने के लिए तिरपाल आदि नहीं मिली। जिससे अनाज मंडी प्रशासन के इंतजामों की पोल खुलती नजर आई।
बारिश जारी रहने पर होगा खेतों में बिछी धान की फसल को नुकसान
किसान रमेश कुमार, पवन कुमार, डॉ. लाभ सिंह, कुलदीप सिंह, प्रदीप राणा व साहब सिंह आदि ने बताया कि उन्होंने किसी तरह हजारों रुपये की कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव कर धान की फसल को बीमारियों से तो बचा लिया था। मगर मंगलवार तड़के हवा के साथ हुई बारिश ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया। बारिश और हवा में उनके खेतों में धान की फसल जमीन पर बिछ गई। यदि इसी तरह अगले दो तीन दिन तक बारिश जारी रहती है तो उनकी खेतों में बिछी धान की फसल पूरी तरह नष्ट हो जाएगी।
सर्वे करवाकर नुकसान का मुआवजा दे सरकार
भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) के जिला अध्यक्ष संजू गुंदियाना ने कहा कि बारिश में धान की फसल के जमीन पर बिछने से किसानों को भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने प्रदेश सरकार से कुछ दिन पहले और मंगलवार को हुई तेज बारिश में खेतों में बिछी धान की फसल का सर्वे और गिरदावरी करवाकर नुक्सान की भरपाई के लिए किसानों को मुुआवजा दिए जाने की मांग की।
अनाज मंडी में बारिश में भीगती हुई धान की ढेरियां।