रणजीत सिंह हत्याकांड : सीबीआई जज ने सील बंद लिफाफे में हाईकोर्ट में पेश की अपनी टिप्पणी

सीबीआई ने अपने विस्तृत जवाब में अपने वकील केपी सिंह लगाए गए आरोपों से बचाव किया। सभी पक्षों के वकीलों ने सीबीआइ जज की टिप्पणियों व सीबीआइ के जवाब पर अपना पक्ष रखने के लिए समय देने की कोर्ट से मांग की जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।;

Update: 2021-08-27 13:17 GMT

डेरा सच्चा सौदा के पूर्व प्रबंधक रणजीत सिंह हत्याकांड में अपने ऊपर लगे आरोपों पर स्पेशल सीबीआई जज सुशील कुमार गर्ग ने एक सील बंद लिफाफे में अपनी टिप्पणियां हाईकोर्ट में पेश की। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता व अन्य पक्षों को जो मामले को अन्य सीबीआई जज को स्थानांतरित करने की मांग कर रहे थे उनको स्पेशल सीबीआई जज सुशील कुमार गर्ग की आरोपों पर पेश टिप्पणियों का निरीक्षण करने की अनुमति दी।

हालांकि, हाईकोर्ट ने सीबीआई जज की टिप्पणियों की कॉपी देने की उनकी मांग को खारिज कर दिया। कोर्ट ने सीबीआई जज सुशील कुमार गर्ग की हाई कोर्ट दी गई टिप्पणियों को सीलबंद लिफाफे में रखने का आदेश भी दिया। लेकिन कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि जज की टिप्पणियों को केवल देखने की इजाजत है। सीबीआई कोर्ट परिसर का सीसीटीवी फुटेज भी जज की टिप्पणियों का हिस्सा है। कोर्ट ने उसे भी सीलबंद लिफाफे में रखे जाने का आदेश दिया। सीबीआइ ने अपने जवाब में इस केस के स्थानांतरण के संबंध में निर्णय लेना हाई कोर्ट पर छोड़ दिया। 

सीबीआई ने अपने विस्तृत जवाब में अपने वकील केपी सिंह लगाए गए आरोपों से बचाव किया। किसी भी प्रकार के प्रभाव के आरोपों से इनकार करते हुए अपने लोक अभियोजक के पी सिंह का बचाव किया है। सीबीआई ने हाई कोर्ट को बताया कि एचपीएस वर्मा और डीएस चावला को विशेष रूप से इस मामले में सीबीआई का प्रतिनिधित्व करने के लिए नियुक्त किया गया है, लेकिन इस मामले में केपी सिंह की उपस्थिति संदेह से परे है क्योंकि वह सीबीआइ अदालत में सीबीआइ के नियमित वकील होने के नाते सीबीआई के हित में कोर्ट में मौजूद रह कर सहायता कर सकते है। सीबीआइ ने कहा कि इससे पहले किसी ने भी ट्रायल के दौरान कोई आपत्ति नहीं जताई। इसी के साथ सुनवाई के दौरान सभी पक्षों के वकीलों ने सीबीआइ जज की टिप्पणियों व सीबीआइ के जवाब पर अपना पक्ष रखने के लिए समय देने की कोर्ट से मांग की जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश जारी रखते हुए सीबीआइ कोर्ट पंचकूला को इस मामले में 2 सितम्बर तक फैसला न सुनाने का भी आदेश दिया।

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