सैलजा बोलीं - कृषि कानूनों को निरस्त कर किसानों को नए साल की सौगात दे भाजपा सरकार

सैलजा ने कहा कि सरकार पूंजीपतियों को गले लगाती है, लेकिन किसानों और गरीबों की नहीं सुनती। इन कानूनों से सरकार अपने कुछ चुनिंदा पूंजीपति मित्रों फायदा पहुंचना चाहती है। सरकार को समझना चाहिए कि लोकतंत्र में लोगों की बात सर्वोपरी होनी चाहिए।;

Update: 2020-12-30 13:14 GMT

केंद्र की भाजपा सरकार को तीनों काले कृषि कानूनों को निरस्त कर किसानों को नए साल की सौगात देनी चाहिए। सरकार के पास नई शुरुआत का मौका है। किसान आंदोलन में अकेले हरियाणा प्रदेश से 10 से ज्यादा किसान अपनी जान गंवा चुके हैं। सरकार मृतकों के परिवारों को मुआवजा और नौकरी दे।

यह बातें हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष सैलजा ने नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में कहीं। इस दौरान उनके साथ में उत्तराखंड कांग्रेस के अध्यक्ष प्रीतम सिंह भी मौजूद थे। सैलजा ने कहा कि केंद्र और हरियाणा प्रदेश की भाजपा सरकारें जनता के बीच विश्वास खो चुकी हैं। किसान आंदोलन में हरियाणा में 10 से ज्यादा किसानों की जान जा चुकी है। हरियाणा की सरकार किसानों की बात नहीं सुन रही है। बेहतर होता कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल एक प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री से मुलाकात करते और उन्हें जमीनी स्थिति से अवगत कराते। मुख्यमंत्री मनोहर लाल हरियाणा के किसान, मजदूर की पीड़ा को माननीय प्रधानमंत्री जी को बताते, उनको समझने की कोशिश करते। हरियाणा सरकार में शामिल विधायक आज के दिन समय-समय पर अपने आपको किसानों के साथ जुड़ता हुआ दिखा रहे हैं, लेकिन ये सरकार उनकी भी नहीं सुन रही है।

सैलजा ने कहा कि सरकार पूंजीपतियों को गले लगाती है, लेकिन किसानों और गरीबों की नहीं सुनती। इन कानूनों से सरकार अपने कुछ चुनिंदा पूंजीपति मित्रों फायदा पहुंचना चाहती है। सरकार को समझना चाहिए कि लोकतंत्र में लोगों की बात सर्वोपरि होनी चाहिए और उसके लिए सरकार के लिए बात झुकने की नहीं है, बात जिद्द छोड़ने की है। सैलजा ने कहा कि सरकार अपना हठ छोड़े। तीनों काले कानून खत्म करे और इसके बाद नए सिरे से किसान व मजदूर को नए साल की सौगात दे। सरकार के पास नई शुरुआत का मौका है। नया साल आ रहा है, हमारी मांग भी है और हमारा सरकार से अनुरोध भी है कि सरकार राजहठ छोड़ें, लोकतंत्र में आम लोगों की, किसानों की, मजदूरों की बात सुनें। देश की अर्थव्यवस्था हमारे कृषि क्षेत्र पर निर्भर है। 62 करोड़ किसान जो कृषि पर आधारित है। मजदूर जिनकी आजीविका कृषि क्षेत्र पर आधारित है। सरकार उनकी मांगें माने। 

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