Solar Eclipse : शनिश्चरी अमावस्या पर 4 को सूर्यग्रहण, शनि पीड़ित जातकों के पास उपाय का अवसर, करने हाेंगे ये काम
यह सूर्य ग्रहण पूरे भारत में किसी भी जगह दिखाई नहीं देगा इसलिए सूतक पातक दोष मान्य नहीं होगा, लेकिन शनि से पीड़ित जातक उपाय जरूर कर सकते हैं।;
हरिभूमि न्यूज. सोनीपत
नवंबर का अंतिम सप्ताह चल रहा है और जल्द ही दिसंबर आने वाला है। दिसंबर के साथ ही साल 2021 भी समाप्त हो जाएगा। लेकिन दिसंबर में सूर्य ग्रहण ( Solar Eclipse ) भी होगा, जोकि खगोल प्रेमियों के लिए अनूठा दृश्य रहेगा। वहीं धार्मिक लहजे से भी यह सूर्यग्रहण विशेष संयोग के साथ आ रहा है। साल का अंतिम सूर्य ग्रहण शनिश्चरी अमावस्या के दिन बन रहा है। जिसकी वजह से यह शनि से पीड़ित जातकों के लिए सुनहरा अवसर लेकर आ रहा है। ज्योतिषाचार्यों की मानें तो शनि से पीड़ित जातक इस दिन संयोग का लाभ उठाकर शनि की हानि की दृष्टि से बच सकते हैं। 4 दिसंबर को मार्गशीर्ष माह की अमावस्या है और शनिवार भी है। इस तरह से शनिश्चरी अमावस्या को सूर्य ग्रहण होने जा रहा है। हालांकि सूर्य ग्रहण पूरे देश में किसी भी जगह दिखाई नहीं देगा इसीलिए सूतक पातक दोष मान्य नहीं होगा। लेकिन शनि से पीड़ित जातक उपाय जरूर कर सकते हैं। यह सूर्य ग्रहण आस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया, मोरोसिस में देखा जा सकेगा।
मॉडल टाउन स्थित श्री नव दुर्गा मंदिर के पुजारी पंडित रामकृष्ण पाठक ने बताया कि सूर्य ग्रहण विक्रम संवत 2078 मार्गशीर्ष मास शनिश्चरी अमावस्या को लग रहा है। शनिश्चरी अमावस्या होने से शनि की साढ़ेसाती, शनि की ढैया, महादशा अंतर्दशा से पीड़ित जातकों को उपाय करने से राहत मिलेगी। इस दिन तेल, अभिषेक करने के लिए शनि मंदिरों में भीड़ उमड़ेगी। उन्होंने बताया कि सूर्य ग्रहण का समय भारतीय समयानुसार 4 दिसंबर को सुबह 10:59 से दोपहर 3:07 बजे तक रहेगा। अमावस्या तिथि 3 दिसंबर दोपहर बाद 4:55 बजे शुरू होगी, जो 4 दिसंबर दोपहर 1:12 बजे तक रहेगी।
साढ़ेसाती से परेशान हैं तो करें पीपल व शमी की पूजा
जिन जातकों की राशि में शनि की साढ़ेसाती, शनि की ढैया, शनि की महादशा या अंतर्दशा विपरीत चल रही है। वे जातक शनिश्चरी अमावस्या के दिन पीपल व शमी के वृक्ष की पूजा करें। इसके साथ ही शनि स्त्रोत का पाठ भी करें। इस दिन सरसों के तेल का दान करना भी शुभ रहेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य ग्रहण के समय सूर्य पीड़ित हो जाते हैं। जिससे सूर्य की शुभता में कमी आ जाती है। सूर्य का संबंध आत्मा, पिता और उच्च पद से भी होता है। शनि अमावस्या पर लगने वाला यह ग्रहण उप-छाया ग्रहण होगा। पूर्ण ग्रहण होने पर ही सूतक काल मान्य होता है। सूर्य ग्रहण के प्रारंभ होने से 12 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है।
15 दिनों में दो ग्रहण, अशुभ का संकेत
पंडित रामकृष्ण पाठक ने बताया कि 19 नवंबर को सबसे लंबी अवधि का चंद्र ग्रहण लगा था। इसके 15 दिन बाद अब सूर्य ग्रहण लगेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इतने कम समय के अंतराल में दो ग्रहण का लगना अशुभ होता है। हालांकि चंद्र ग्रहण का भारत में कोई असर नहीं हुआ था, इसी प्रकार सूर्य ग्रहण का भी भारत में कोई असर होगा। सूर्य ग्रहण जहां दिखाई देगा, उसका असर भी वहीं होगा।