Water Crisis : बूंद- बूंद पानी के लिए तरस रहा महाभारत कालीन ये गांव

कैथल जिले के कलायत मंडल के अंतर्गत आने वाले महाभारत कालीन गांव खरक पांडवा के लोग पेयजल समस्या से जूझ रहे हैं। भूमिगत जल लवणीय होने के कारण ग्रामीणों के सामने पेयजल की समस्या विकराल रूप लिए खड़ी है।;

Update: 2021-04-28 07:34 GMT

हरिभूमि न्यूज : कैथल

कैथल जिले में भी जल संकट की समस्या विकराल हो चुकी है। न सिर्फ शहरी क्षेत्रों में बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी जल संकट बढ़ा है। कलायत मंडल के अंतर्गत आने वाले महाभारत कालीन गांव खरक पांडवा के लोग पेयजल समस्या से जूझ रहे हैं। भूमिगत जल लवणीय होने के कारण ग्रामीणों के सामने पेयजल की समस्या विकराल रूप लिए खड़ी है।

हरियाणा को अस्तित्व में आए 50 साल बीत चुके हैं, लेकिन प्रदेश के गांवों में बसे 47 प्रतिशत घरों में अभी भी पेयजल की सीधी सुविधा उपलब्ध नहीं है। इन घरों में रहने वाले लोग सार्वजनिक नल पर निर्भर हैं या फिर पड़ोसी से मदद लेते हैं।

हरियाणा सरकार की रिपोर्ट के अनुसार राज्य के करीब 6800 गांवों में 32 लाख 88 हजार 147 घर हैं। इनमें से अब तक 17 लाख 58 हजार 292 घरों तक ही पेयजल सुविधा पहुंच पाई है। इसके चलते करीब 15 लाख घरों को जल जीवन मिशन के तहत पेयजल आपूर्ति मुहैया करवाने की योजना बनाई गई थी। केन्द्र सरकार ने सभी राज्यों में वर्ष 2024 तक हर ग्रामीण घर में एक कार्यात्मक नल के माध्यम से प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 55 लीटर जल पहुंचाने के निर्देश दिए हैं। हरियाणा सरकार ने इस लक्ष्य को वर्ष 2022 में पूरा करने की योजना बनाई थी लेकिन धरातल का सच कुछ और ही बयान कर रहा ,खरक पांडवा के लौग एक हैंडपम्प पर निर्भर है ।

नहर पर लगे हैंडपंप के पानी पर निर्भर है, पूरा गांव

लगभग आठ हजार की आबादी वाले किस गांव के लोग पेयजल को लेकर परेशानी का सामना कर रहे हैं। पीने के पानी की किल्लत को लेकर ग्रामीणों का कहना है, कि गांव से लगभग 2 किलोमीटर दूर खरक पांडवा से से सजूमा मार्ग के बीच आने वाली सरसा ब्रांच नहर पर लगे हैंड पंप से ग्रामीणों को पानी लाना पड़ता है। पूरे गांव के लोग नहर पर लगे उन हैंड पंप्स पर निर्भर है। खेतों की ओर जाने वाले लोग अपने बैल रेहडियों व अन्य ग्रामीण पैदल साइकिल से पीने का पानी लेकर आते हैं।

जलघर से लोगों के घरों में नहीं पहुंचता मीठा पानी

ग्रामीण के गंगादयाल सहारण ने बताया कि गांव में स्थित जलघर द्वारा मीठे पानी की आपूर्ति नहीं हो पाती चल घर में लगे खारे पानी के समर्सिबल बोर का पानी नहर के मीठे पानी में मिलाकर गांव में सप्लाई किया जाता है। वह पानी ना तो पीने के लायक है और ना ही इस्तेमाल के लायक अगर इस पाने की सैंपलिंग करवाई जाए तो इसमें विभिन् प्रकार की बिमारी पायी जाती है ।

पंचायत समितियां भी रहे पेयजल की आपूर्ति करने में विफल

ग्रामीणों ने बताया कि पेयजल की भारी किल्लत से जूझ रहे ग्रामीणों को पेयजल मुहैया करवाने के लिए पंचायत समितियां भी अब तक विफल रही है ग्राम पंचायत द्वारा कभी कोई ऐसा प्रयास नहीं किया गया कि जिससे ग्रामीणों पेयजल की आपूर्ति हो सके।

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