World Health Day : कोरोना के बाद मोबाइल एडिक्ट हो रहे बच्चे, महिलाओं-पुरुषों में भी बढ़ रहा तनाव, इस तरह छुड़वाएं फोन की लत

नई पीढ़ी को कोरोना ने जिस हद तक प्रभावित किया है वह चिंता का विषय है। अब बच्चे मोबाइल एडिक्ट हो रहे हैं, पुरुष नौकरी जाने के कारण, महिलाएं और लड़कियां घरों में रहने के कारण तनाव में हैं।;

Update: 2022-04-07 04:12 GMT

मनोज वर्मा : रोहतक

कोविड-19 महामारी लगभग खत्म होने के कगार पर है। लेकिन नई पीढ़ी को कोरोना ने जिस हद तक प्रभावित किया है वह चिंता का विषय है। अब बच्चे मोबाइल एडिक्ट हो रहे हैं, पुरुष नौकरी जाने के कारण, महिलाएं और लड़कियां घरों में रहने के कारण तनाव में हैं। पीजीआई के मानसिक रोग विभाग में हर रोज 2-3 बच्चे ऐसे आते हैं जो मोबाइल एडिक्ट हैं। 2021 के अंत से अब तक हर महीने औसतन 15-20 एडिक्शन बच्चे इलाज के लिए आ रहे हैं। अब बच्चे फिजिकली खेलने-कूदने के बजाय सिर्फ ऑनलाइन गेम खेलना ही पसंद करते हैं।

बदल रही नई पीढ़ी

अब नई पीढ़ी बिल्कुल बदल गई है। माहिलाओं और लड़कियों में भी मानसिक बदलाव आया है। पीजीआई में करीब 100 माहिलाएं और लड़कियां ऐसी आई हैं जो लंबे समय तक घर पर रहने और फिर बात-बात पर झगड़ा होने से मानसिक बाीमार हो गई हैं। दूसरी ओर नौकरी छूटने और काम नहीं मिलने के कारण पुरुष भी डिप्रेशन में आए हैं। अगर पोस्ट कोविड के प्रभाव से बच्चों को बचाना है तो एक-दूसरे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं।

700 लोगों पर सर्वे

पीजीआई के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हरनीत सिंह ने कोविड-19 के प्रभाव पर सर्वे करवाया था। यह सर्वे 700 लोगों को किया। रिसर्च में पता चला कि अधिकतर लोग डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। लॉकडाउन के कारण ऑनलाइन क्लास लगी तो बच्चे मोबाइल और इंटरनेट के नजदीक आ गए। इसका असर ये हुआ कि अब वे स्कूल में जाने के लिए खुद को तैयार नहीं कर पा रहे। एंटरनेटमेंट के नाम पर उन्हें सिर्फ मोबाइल पसंद है।

दो-तीन तरह के मरीजों की संख्या बढ़ी

हाल ही में दो-तीन तरह के मरीजों की संख्या बढ़ी है। बच्चों में मोबाइल एडिक्शन के अलावा मोटापा भी बढ़ा है। महिलाओं और पुरुषों में मानसिक बदलाव आए हैं। डिप्रेशन और मानसिक बीमारी से पहले ही बच्चों और अपने आसपास के लोगों के साथ ज्यादा समय बिताना होगा। उनसे हर समस्या पर खुलकर बात करनी होगी। बच्चों में मोबाइल की लत छुड़वाने के लिए उन्हें पीटें नहीं, बल्कि उसके साथ खेलें और मोबाइल के नुकसान समझाएं। नई पीढ़ी को इस एडिक्शन के बचाने के लिए अभी हमने कदम नहीं उठाए तो आने वाले समय में परिणाम और घातक होंगे। -डॉ. सुजाता सेठी, सीनियर प्रोफसर, मानसिक रोग विभाग, पीजीआईएमएस। 

माेबाइल से इस तरह बचाएं बच्चों को 

    • बच्चों के साथ अधिक से अधिक समय बिताएं
  • घरेलू कामों में बच्चों का सहयोग लें।
  • बच्चों को पेंटिंग, डांस, म्यूजिक व अन्य क्लासेज में भेजें।
  • आउटडोर गेम्स के लिए खुद ले जाएं।
  • बच्चों के सामने ज्यादा मोबाइल यूज न करें। 
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