सीएम भूपेश बघेल के खिलाफ दो साल पहले दर्ज प्रकरण को खत्म करने की कोर्ट से अनुमति, जानिए क्या है मामला
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ दो वर्ष पुराने मामले को खत्म करने की अनुमति कोर्ट ने दे दी है। राज्य आर्थिक अपराध एवं अन्वेषण ब्यूरों द्वारा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ लगभग दो वर्ष पूर्व दाखिल प्रकरण को खत्म करने की अनुमति विशेष अदालत ने दे दी है।;
दुर्ग। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ दो वर्ष पुराने मामले को खत्म करने की अनुमति कोर्ट ने दे दी है। राज्य आर्थिक अपराध एवं अन्वेषण ब्यूरों द्वारा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ लगभग दो वर्ष पूर्व दाखिल प्रकरण को खत्म करने की अनुमति विशेष अदालत ने दे दी है। बता दें कि पाटन के पूर्व विधायक व वर्तमान सांसद विजय बघेल की शिकायत पर यह मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में जांच के बाद अपराध संबंधी किसी प्रकार के साक्ष्य नहीं मिलने का हवाला देते हुए जांच एजेंसी ने अदालत में प्रकरण को खत्म करने के लिए आवेदन दाखिल किया था। जिस पर विचार करने के बाद विशेष न्यायाधीश अजीत कुमार राजभानू ने यह फैसला दिया है।
क्या है मामला -
भिलाई विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (साडा) के कार्यकाल के दौरान पाटन क्षेत्र के पूर्व विधायक व वर्तमान सीएम भूपेश बघेल पर गलत तरीके से प्लाट आवंटन कराए जाने का आरोप लगाया गया था। गरीब वर्ग के लिए आरक्षित 6 आवासीय प्लाट को एक बनाकर आवंटित किए जाने का आरोप था। कुल 12 प्लाट को दो समूह बनाकर भूपेश बघेल की मां बिंदेश्वरी बघेल व पत्नी मुक्तेश्वरी बघेल के नाम आवंटित किए गए थे। इस आवंटन में विधायक व साडा के पदेन सदस्य भूपेश बघेल पर अपने पद का दुरुपयोग किए जाने का भी आरोप था। इस मामले की शिकायत पाटन के तत्काली विधायक व वर्तमान सांसद विजय बघेल ने आर्थिक अपराध व अन्वेषण ब्यूरों के समक्ष 22 जुलाई 2015 को की थी। शिकायत के आधार पर ईओडब्लू ने 2 मई 2017 को भूपेश बघेल के खिलाफ दफा 120 बी के साथ आर्थिक अपराध निवारण अधिनियम की धारा 13(1) डी, 13(2) के तहत अपराध पंजीबद्ध कर विचारण के लिए प्रकरणों को न्यायालय में समक्ष प्रस्तुत किया था।
प्रकरण विशेष न्यायाधीश अजीत कुमार राजभानू की अदालत में विचाराधीन था। इसी दौरान ईओडब्लू ने इस मामले में जांच के दौरान भूपेश बघेल के खिलाफ आर्थिक अपराध किए जाने के साक्ष्य नहीं मिलने की जानकारी न्यायालय को दी थी। प्रकरण न्यायालय में चलने योग्य नहीं होने का हवाला देते हुए प्रकरण का खात्मा किए जाने का आवेदन प्रस्तुत किया गया था। इस मामले में शिकायतकर्ता ने इसे खत्म करने पर आपत्ति दर्ज करते हुए विरोध किया था। शिकायतकर्ता ने अदालत को बताया कि आरोपी भूपेश बघेल के खिलाफ पद का दुरुपयोग कर लाभ प्राप्त करने के इस मामले में पर्याप्त साक्ष्य है। जिन पर न्यायालय में विचार किया जा सकता है। वहीं अभियोजन पक्ष की ओर से लोक अभियोजक सुदर्शन महलवार ने तर्क दिया कि साडा स्वतंत्र इकाई थी। जिसे प्लाट को किसी भी आकार में काट कर आवंटन करने का अधिकार प्राप्त है। भूपेश बघेल के परिवार के सदस्यों ने साडा द्वारा निर्धारित दर के अनुसार भुगतान कर प्लाट का आवंटन प्राप्त किया था। इस प्रकरण में कहीं भी यह दर्शित नहीं होता कि भूपेश बघेल ने पद का दुरोपयोग कर अनुचित तरीके से अपने परिजनों को आर्थिक लाभ पहुचाया है।
क्या कहा कोर्ट ने
कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कहा है कि प्रकरण में आरोपीगणों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 139(1)डी व सहपठित धारा 13(2) के तत्व प्रकट नहीं होते हैं। जिससे यह साबित हो कि भूपेश बघेल ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए स्वंय विधि विरुद्ध साधनों के माध्यम से लाभ अर्जित किया हो। वही शिकायतकर्ता का कहना है कि वह इसके खिलाफ उच्च अदालत में अपील करेगा। साथ ही मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की जाएगी।
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