Shabnam Case: अभी शबनम के पास बचा है विकल्प, राष्ट्रपति के पास है 5 प्रकार की क्षमा शक्ति, पढ़ें आर्टिकल-72
Shabnam Case: उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले की रहने वाली शबनम की फांसी रोकने के लिए उसके बेटे की दया याचिका को यूपी राज्यपाल ने राष्ट्रपति को भेज दिया है।;
Shabnam Case: उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले की रहने वाली शबनम की चर्चा इन दिनों काफी तेजी से हो रही है। आजाद भारत की पहली महिला को फांसी दी जाएगी। प्यार की खातिर उसने अपने परिवार में 7 लोगों को कत्ल कर दिया था। शबनम ने प्यार के आगे रिश्तों को खत्म कर घर बसाने की कोशिश की थी। लेकिन अपने और सलीम के बनाए जाल में खुद ही फंस गई। अब उसे मथुरा महिला जेल में फांसी दी जाएगी।
हाल ही में दोषी शबनम की फांसी को रोकने के लिए उनके बेटे ताज ने राष्ट्रपति से अपनी मां की फांसी की सजा माफ करने की अपील की। शबनम के बेटे ताज कहा कि मेरी राष्ट्रपति जी से अपील है कि मेरी मां को फांसी न दें। मैं उनसे बहुत प्यार करता हूं। इस बीच अभी तक शबनम को फांसी कब दी जाएगी। इसकी अभी तारीख तय नहीं हुई है। लेकिन शबनम को फांसी दी जाएगी।
राज्यपाल के पास दया याचिका भेजने का विकल्प
साल 2019 में शबनम की फांसी की पुनर्विचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। जिसके बाद अभी तक उसे फांसी नहीं दी गई है। अभी भी शबनम फांसी की सजा का इंतजार कर रही है। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल ने राष्ट्रपति याचिका को भेजा है। जिसमें शबनम की फांसी पर रोक लगाने के लिए कहा गया है। कैदी के परिवार में से कोई भी राज्यपाल के पास अपील कर सकता है। शबनम से राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति के पास अपनी याचिका भिजवाई है तो वहीं उसके बेटे ने भी राष्ट्रपति से मां के लिए दया की गुहार लगाई है।
ऐसे में अभी शबनम के पास कौन सा विकल्प है कि उसकी फांसी को रोको जा सके। सुप्रीम कोर्ट से फांसी की याचिका रद्द होने के बाद देश का कोई भी नागरिक अपनी याचिका राष्ट्रपति के पास भेज सकता है। ऐसे में राष्ट्रपति संविधान की धारा 72 के तहत अपनी शक्ति का इस्तेमाल करते हुए किसी भी कैदी की फांसी की सजा को रोक सकते हैं या क्षमा कर सकते हैं। अगर कोर्ट में केस चल भी रहा हो। जबकि राज्यपाल के पास फांसी की सजा को रोकने का कोई अधिकार नहीं होता है। वो सिर्फ राष्ट्रपति के पास उस शख्स की याचिका को भेज सकता है। जो गृह मंत्रालय के जरीए पहुंचती है।
राष्ट्रपति के पास 5 प्रकार की क्षमा शक्ति
भारत के राष्ट्रपति के पास यह अधिकार है कि वो फांसी की सजा पाए किसी भी कैदी को क्षमा कर सकते हैं। चाहे नागरिक हो या फिर कोर्ट मार्शल का केस हो। संविधान के आर्टिकल 72 में राष्ट्रपति को क्षमा करने की शक्ति दी गई है। राष्ट्रपति 5 तरीके से सजा को माफ कर सकते हैं।
1. क्षमा (Pardon)- कोर्ट ट्रायल के दौरान पूर्ण माफ कर देना
2. लघुकरण (Commutation) - नेचर या टाइम - इसमें कैदी को फांसी दी जाती है। समय कम हो जाता है।
3. परिहार (Remission) - जबकि इसमें आपको फांसी नहीं दी जाती है। लेकिन आपका समय कम हो जाता है जो 10 से 5 साल हो सकता है।
4. विराम (Respite)- जब कैदी का स्वास्थ्य ठीक न हो या फिर कोई महिला कैदी प्रेग्नेंट हो तो फांसी नहीं दी जाती है।
5. प्रविलम्बन (Reprieve)- अस्थायी रोक (फांसी पर स्टे) जैसे कि राष्ट्रपति को पास याचिका पहुंची और उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया तब तक फांसी पर रोक लगी रहती है। यानी कि राष्ट्रपति इन पांच क्षमा शक्ति का इस्तेमाल करते हैं जो आर्टिक 72 में लिखा है। क्षमा, प्रतिनियुक्ति, पदत्याग, उपाय, निरस्त। साथ ही अगर कोई सैन्य न्यायालय द्वारा भी सजा पाया हो तो उसे भी माफ कर सकते हैं। लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति के पास यह अधिकार नहीं है। साल 2008 में शबनम ने अपने माता पिता समेत 7 लोगों को कुल्हाड़ी से काटकर हत्या कर दी थी।