क्यों पहना जाता है 19 मुखी रुद्राक्ष, जानें इसके धारण करने के सही नियम

क्यों पहना जाता है 19 मुखी रुद्राक्ष, जानें इसके धारण करने के सही नियम
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हिंदू धर्म में रुद्राक्ष का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है। ऐसे तो रुद्राक्ष कई तरह के होते हैं, लेकिन आज हम इस खबर में बात करने वाले हैं 19 मुखी रुद्राक्ष के बारे में...

19 Mukhi Rudraksha: हिंदू धर्म में रुद्राक्ष का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है। ऐसे तो रुद्राक्ष कई तरह के होते हैं, लेकिन आज हम इस खबर में बात करने वाले हैं 19 मुखी रुद्राक्ष के बारे में। शास्त्रों के अनुसार, 19 मुखी रुद्राक्ष भगवान विष्णु का प्रतिनिधित्व करता है और विष्णु भगवान को सभी राजाओं का सर्वोच्च भी माना गया है। ऐसी मान्यता है कि जो जातक 19 मुखी रुद्राक्ष धारण करता है, वह संसार के सभी सुखों का आनंद प्राप्त करता है। इसके साथ ही भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी दोनों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। ऐसा कहा जाता है कि 19 मुखी रुद्राक्ष का स्वामी बुध ग्रह होते हैं और जो जातक इस रुद्राक्ष को धारण करता है। उसके ऊपर बुध ग्रह का क्रूर प्रभाव नहीं पड़ता।

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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, 19 मुखी रुद्राक्ष की सबसे अच्छी गुणवत्ता श्रीलंका और दक्षिण भारत में पाई जाती है। 19 मुखी रुद्राक्ष के ऊपर 19 धारियां मौजूद होती हैं। ऐसा कहा जाता है कि 19 मुखी रुद्राक्ष अच्छी क्वालिटी का मिलना काफी दुर्लभ होता है। जो जातक इस रुद्राक्ष को धारण करता है उसे सामाजिक कार्य और राजनीतिक कार्य में बहुत लाभ होता है।

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जानें 19 मुखी रुद्राक्ष धारण करने की विधि

शास्त्रों के अनुसार, किसी भी रुद्राक्ष को धारण करने से पहले किसी विशेषज्ञ से जरूर सलाह लेनी चाहिए। क्योंकि, रुद्राक्ष में अपार शक्ति होती है। यदि कोई जातक ऐसे ही रुद्राक्ष को धारण करता है तो उसे हानि भी हो सकती है।

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किसी दिन धारण करना चाहिए 19 मुखी रुद्राक्ष

शास्त्रों के अनुसार, किसी भी रुद्राक्ष को धारण करने के लिए शुभ दिन सोमवार माना जाता है। 19 मुखी रुद्राक्ष धारण करने से पहले प्रात काल उठकर स्नान आदि करें, इसके बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनें। इसके बाद पूर्व दिशा की ओर मुख करके ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करें। इसके बाद ही रुद्राक्ष को धारण करें।

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Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।

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