दो मुखी रुद्राक्ष का रूप है अर्धनारीश्वर, जानें इसके लाभ और धारण करने का नियम

2 Mukhi Rudraksha: हिंदू धर्म में रुद्राक्ष का बहुत बड़ा महत्व है। शास्त्रों के अनुसार, रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई थी। ऐसा माना जाता है कि 2 मुखी रुद्राक्ष भगवान शिव और माता पार्वती का रूप माना गया है। इस 2 मुखी रुद्राक्ष के किनारों पर दो तरह की प्राकृतिक रेखाएं हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने दोनों देवताओं को इतना करीब आने का आशीर्वाद दिया कि वे एक दूसरे में पिघल गए। कहा जाता है कि 2 मुखी रुद्राक्ष भगवान शिव के बहुत ही करीब है, इसलिए इस रुद्राक्ष को महादेव का अवतार माना गया है। इस रुद्राक्ष का प्रतिनिधित्व भगवान अर्धनारीश्वर करते हैं, जो आधा पुरुष और आधा महिला के रूप में हैं।
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, किसी भी रत्न का एक ग्रह शासन होता है। रुद्राक्ष का भी एक ग्रह शासन है जो चंद्रमा है। कहते हैं कि जातक की जन्म कुंडली के अनुसार, चंद्र ग्रह सुविचारित अवस्था में होते हैं, तो जातक को जीवन में नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। चंद्र ग्रह के सुविचार अवस्था के कारण जातक बेचैन हो जाता है। इसके साथ ही एकाग्रता में कमी आ जाती है और जीवन दुर्भाग्य भी बन सकता है। इन सभी समस्याओं को खत्म करने के लिए ज्योतिष शास्त्रों में उपाय बताया गया है। इन्हीं उपायों में 2 मुखी शंख का उपाय। जो जातक की सारी समस्या खत्म कर सकता है।
यदि जातक की संबंध रिश्तेदारों और प्रेमिकाओं के बीच खराब चल रहे हैं, तो दो मुखी रुद्राक्ष आपके लिए शुभ फल ला सकता है। इसे धारण करने से आपके अंदर प्रेम को समझने की भावना बढ़ सकती है। दो मुखी रुद्राक्ष का स्वामी चंद्रमा और सूर्य को प्रतीक माना गया है, क्योंकि इस रुद्राक्ष में दो देवताओं की शक्ति होती है।
शास्त्रों के अनुसार, जो जातक दो मुखी रुद्राक्ष धारण करता है वो उद्देश्यपूर्ण बनता है। इसके साथ ही अपने जीवन में सभी लक्ष्यों को हासिल करता है। दो मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से मन और आत्मा का एकीकरण होता है, क्योंकि इस रुद्राक्ष का स्वामी चंद्र ग्रह होते हैं। दो मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति को किसी भी प्रकार की कोई समस्या नहीं होती है। घर में हमेशा धन और खुशियां भरी रहती है।
Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।
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