Gochar 2021 : 22 फरवरी से वृषभ राशि में मंगल करेंगे गोचर, बनेगा अंगारक योग

- 22 फरवरी को मेष से वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे मंगल
- राहु - मंगल की युति से बनता है अंगारक योग (Angarak Yog)
- 19 साल पहले 2002 में बना था अंगारक योग
Gochar 2021 : प्राणियों के शरीर में रक्त में सर्वाधिक प्रभाव डालने वाले महान ग्रह पृथ्वी पुत्र मंगल 22 फरवरी की सुबह 4:33 बजे अपनी स्वयं की राशि मेष की यात्रा समाप्त करके शुक्र की राशि वृषभ में प्रवेश कर रहे हैं। इस राशि में मंगल 14 अप्रैल 2021 की मध्यरात्रि 01:10 मिनट तक गोचर करेंगे, उसके बाद मिथुन राशि में प्रवेश कर जाएंगे। मंगल के वृषभ में आने से राहु के साथ युति हो जाएगी। इससे 51 दिन तक अंगारक योग बनेगा। वृषभ राशि में इससे पूर्व 19 साल पहले 2002 में यह योग बना था। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास के अनुसार मंगल और राहु दोनों ग्रह आपस में शत्रुता का भाव रखते हैं, उन्हें एक-दूसरे के साथ अधिक अनुकूल नहीं माना जा सकता है। मंगल और राहु के मिलन से अंगारक दोष बनता है। मंगल ग्रह से आमतौर पर लोग डरते है लेकिन जिसका नाम ही मंगल हो वह अमंगल कैसे कर सकता है। यह ग्रह मंगल देव है लेकिन अशुभ नहीं है।
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दीर्घकालिक योग साधना में लगे हुए भगवान शिव के पसीने की एक बूंद से उत्पन्न मंगल अत्यधिक साहसी, परिश्रमी और कुशल प्रशासक के रूप में जाने जाते हैं। जन्मकुंडली में इनके शुभ प्रभाव के फलस्वरूप समाज में अच्छी कामयाबी और ख्याति प्राप्त करता है। कुंडली में ये अपनी राशि या उच्चराशि में होकर केंद्र में हों तो 'रूचक योग'का निर्माण करते हैं जो पंचमहापुरुष योग में से एक है। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि जिन जातकों की जन्म कुंडली में ये मांगलिक योग बनाते हैं उन्हें दांपत्य जीवन में कहीं न कहीं कठिनाइयों का सामना करना ही पड़ता है और विवाह में विलंब भी होता है। इसलिए जिनकी जन्मकुंडली में मांगलिक दोष हो उन्हें इस दोष की शांति अवश्य करा लेनी चाहिए। मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल कर्क राशि में नीचराशि तथा मकर राशि में उच्चराशिगत संज्ञक माने गए हैं। जन्म कुण्डली में हर ग्रह शुभ और अशुभ फल देते है। ऐसे ही मंगल ग्रह भी दोनों तरह के फल देते है। यह ग्रह सदैव सभी के लिए कौतुहल यानि चर्चा का विषय रहा हैं।
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ग्रहों के सेनापति हैं मंगल
ज्योतिष शास्त्र में मंगल को सभी ग्रहों का सेनापति होने का दर्जा प्राप्त है। मंगल मेष राशि और वृश्चिक राशि के स्वामी माने गए हैं। विख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि मकर राशि में मंगल उच्च के हो जाते हैं वहीं कर्क राशि में मंगल को नीच का माना जाता है। सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति से इनकी मित्रता है। बुध से मंगल की नहीं बनती है। जबकि शुक्र और शनि इनके सम संबंध हैं। मंगल देव पराक्रम, स्फूर्ति, साहस, आत्मविश्वास, धैर्य, देश प्रेम, बल, रक्त, महत्वकांक्षा एवं शस्त्र विद्या के अधिपति माने गए है। यहां आपको विशेष रूप से बताना चाहता हूं कि अग्नि तत्व होने से मंगल सभी प्राणियों को जीवन शक्ति देता है। यह प्रेरणा, उत्साह एवं साहस का प्रेरक होता है।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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