जीवन में शांति चाहने वाले व्यक्ति को कर देना चाहिए ऐसी पत्नी, मित्र, नौकर और घर का त्याग

अपने जीवन में प्रत्येक व्यक्ति सुख और शांति से रहना चाहता है। लेकिन कई बार व्यक्ति के जीवन में ऐसी स्थिति आती है जिससे उस व्यक्ति का जीवन अभिशाप बन जाता है। और जिसके परिणामस्वरुप उस व्यक्ति को जीवन भर दुख झेलने पड़ते हैं। पत्नी, मित्र घर और नौकर व्यक्ति के जीवन के अहम अंग हैं। अगर ये सब ठीक हैं तो व्यक्ति का जीवन स्वर्ग के सुख भोगने के समान बन जाता है। और अगर ये लोग गलत हों तो व्यक्ति को जीते जी नर्क भोगना पड़ता है।
गरुड़ पुराण में इस विषय में लिखा है कि मनमानी करने वाली पत्नी, दुष्ट मित्र, वाद-विवाद करने वाला नौकर तथा जिस घर में सांप रहता है, वहां निवास करना मृत्यु के ही समान है। और व्यक्ति को इनका तत्काल त्याग कर देना चाहिए।
अपनी मनमानी करने वाली पत्नी
पत्नी घर की बहुत ही सम्मानीय और पति के बहुत करीब रहने वाली व्यक्ति होती है। शास्त्रों में उसे घर की लाज कहा जाता है। लेकिन अगर पत्नी अपनी ही मनमानी करती है। और अपने पति की इज्जत और मान सम्मान के खिलाफ फैसले लेती है। या किसी दूसरे व्यक्ति के साथ प्रेमालाप करती है तो ऐसी पत्नी को शास्त्रों में मृत्यु के समान बताया गया है। सम्मान चाहने वाले व्यक्ति को ऐसी पत्नी का तत्काल त्याग कर देना चाहिए।
दुष्ट और लोभी मित्र
पत्नी के बाद व्यक्ति के जीवन में मित्र का भी अहम स्थान होता है। क्योंकि शास्त्रों में सच्चा मित्र बहुत बड़ा हितैषी माना गया है। अगर मित्र लोभी और दुष्ट प्रवृति का है तो व्यक्ति के जीवन में हमेशा कठिनाई आती रहेंगी। क्योंकि दुष्ट व्यक्ति की प्रवृति कभी नहीं बदलती। वह अपने मित्रों, संबंधियों और रिस्तेदारों को हमेशा परेशानियों में ही डालता रहता है। इसलिए शास्त्रों में अपना ही भला चाहने वाले लोभी और दुष्ट मित्र का परित्याग करना ही श्रेष्ठ बताया गया है।
बातुनी नौकर
अमीर लोगों के यहां नौकर रखने का चलन पहले से ही चला आ रहा है। लोग अपनी जरुरत के हिसाब से अपने घरों और दफ्तरों में नौकर रखते हैं। लेकिन नौकर को अपने स्वामी का हितैषी होना चाहिए। क्योंकि नौकर अपने स्वामी के सभी गुप्त राज जानते हैं। इसलिए नौकर रखते समय उचित-अनुचित का ध्यान रखना चाहिए। अगर आपका नौकर बातुनी है या वाद विवाद करने वाले स्वभाव का है तो वह कहीं भी आपके गुप्त रहस्य उजागर कर सकता है, और आपको परेशानी में डाल सकता है। धर्मशास्त्रों में ऐसे नौकर का त्याग करना ही उत्तम माना गया है।
घर में सांप
जिस घर में सांपों का बसेरा हो। वहां रहना व्यक्ति के लिए श्रेयकर नहीं होता। शास्त्रों में ऐसे घर को जलते हुए मकान की भांति बताया गया है। शांति चाहने वाले व्यक्ति को ऐसे घर को तुरन्त छोड़ देना चाहिए। ऐसे घर में अधिक दिन तक रहना मृत्यु के बराबर है। तनिक सी चूक से ऐसे घर में रहने वाले व्यक्ति की जान जा सकती है। इस संदर्भ में गरुड़ पुराण में कहा गया है कि सर्पयुक्त घर में निवास करना साक्षात मृत्यु के समान है।
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