Jyotish Shastra : ऐसे लोग हमेशा रहते हैं गरीब, जानें कुंडली में धनहीनता के योग

- जातक की कुंडली में ग्रह, नक्षत्र और योग का विशेष स्थान होता है।
- कुंडली में बने योग से हम जातक के गरीब-अमीर होने के बारे में जान सकते हैं।
Jyotish Shastra : ज्योतिष शास्त्र में फलित करते समय योग का महत्वपूर्ण योगदान होता है। योग यानि जब एक से अधिक ग्रह युति, दृष्टि, स्थिति और वंश संबंध बनाते हैं तब योग बनता है। योग कारक ग्रहों की महादशा, अन्तर्दशा व प्रत्यन्तर दशादि में योग का फल मिलता है। ज्योतिष में योग को समझे बिना फलित व्यर्थ है। योग में योगकारक ग्रह का महत्वपूर्ण स्थान होता है। योगकारक ग्रह के बलाबल से योग का फल प्रभावित होता है। धनहानि किसी भी जातक को अच्छी नहीं लगती है। लेकिन कुछ इस प्रकार के योग होते हैं जोकि जातक के जीवन में धनहानि या धनहीनता कराते रहते हैं। तो आइए जानते हैं कुछ इस प्रकार के योग के बारे में।
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- कुंडली में लाभेश छठे, आठवें एवं बारहवें भाव में हो तो जातक निर्धन होता है। ऐसा जातक कर्जदार, संकीर्ण मन वाला एवं कंजूस होता है। यदि लग्नेश भी निर्बल हो तो जातक अत्यन्त निर्धन होता है।
- जातक की कुंडली में धनेश अस्त या नीच राशि में स्थित हो तथा द्वितीय व आठवें भाव में पापग्रह हो तो जातक सदैव कर्जदार और धनहीन ही रहता है।
- धनेश छठे, आठवें एवं बारहवें भाव में हो या भाग्येश बारहवें भाव में हो तो जातक करोड़ों रुपये कमाने के बाद भी धन से हीन यानि गरीब ही रहता है। ऐसे जातक को धन कमाने के लिए बहुत अधिक संघर्ष करना होता है। उसके पास धन कभी भी एकत्रित नहीं होता है यानि अगर हम दूसरे शब्दों में कहें तो ऐसे व्यक्ति के पास कभी भी धन नहीं रूकता है।
- जातक की कुंडली में धन भाव में पापग्रह स्थित हों। लग्नेश द्वादश भाव में स्थित हो एवं लग्नेश नवमेश एवं लाभेश (एकादश का स्वामी) से युत हो या दृष्ट हो तो ऐसे जातक पर कोई न कोई कर्ज हर समय अवश्य रहता है।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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