Chanakya Niti : इन लोगों से दुश्मनी करना पड़ सकता है आपको महंगा

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति में एक महिला समेत तीन ऐसे लोगों के बारे में बताया है कि जिनके साथ भिड़ना किसी भी मनुष्य को महंगा पड़ सकता है। क्योंकि इनके साथ शत्रुता करने पर मनुष्य स्वयं के ही जीवन का विनाश कर लेता है। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति में मनुष्य को कई महत्वपूर्ण उपदेश दिए हैं। जोकि मानव जाति के लिए कल्याणकारी हैं। अगर कोई व्यक्ति उन्नति करना चाहता है तो वह चाणक्य की नीति को अवश्य ग्रहण करें। तो आइए जानते हैं ऐसे ही पुरुष और स्त्रियों के बारे में जिनसे दुश्मनी करना आपको महंगा पड़ सकता है। संसार में ऐसे दो व्यक्ति बहुत ही कम होते हैं जिनसे कोई भी व्यक्ति शत्रुता करना नहीं चाहेगा। अगर कोई व्यक्ति भूलवश इनसे शत्रुता करता है तो वह अपना ही विनाश करता है। तो आइए जानते हैं ऐसे ही महिला और पुरुषों के बारे में।
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1. सहनशील व्यक्ति से दुश्मनी
चाणक्य के अनुसार कभी किसी सहनशील व्यक्ति से शत्रुता नहीं करनी चाहिए। नहीं तो यह प्राणघातक हो सकती है। साधारण सी बात है जो व्यक्ति सहन करता है सभी उसपर ही अत्याचार करते हैं। उसका मजाक बनाते हैं। उसे कष्ट देते हैं लेकिन सहनशील व्यक्ति उसे सहन करने की ताकत भी रखता है। परंतु चाणक्य कहते हैं कि एक सहनशील व्यक्ति एक विशालकाय सागर की तरह होता है जबतक वह सहन करता है तभी तक सभी को आनंद मिलता है, लेकिन जब उसकी सहन करने की शक्ति समाप्त हो जाती है, तो वह किसी समुन्दर में आए तुफान की तरह अपनी सभी मर्यादाओं को भूलकर सबकुछ तहस-नहस कर देता है। जब सहनशील व्यक्ति अपना आपा खो देता है तो वह खुद के प्राणों की भी चिंता नहीं करता है। और सबकुछ नष्ट कर देता है। और उसके इस प्रलयकारी रुप के सामने टिकना किसी भी साधारण व्यक्ति के लिए संभव नहीं होता।
2. ज्ञानी पुरुष से दुश्मनी
आचार्य चाणक्य के अनुसार किसी ज्ञानी अथवा विद्वान व्यक्ति से भी शत्रुता अच्छी नहीं होती है। बल्कि ज्ञानी और बुद्धिमान पुरुष से मित्रता करना ही उचित है। इनसे शत्रुता करने पर व्यक्ति स्वयं का ही नुकसान करता है। बुद्धिमान से मित्रता करने पर व्यक्ति बहुत कुछ सीख सकता है। अपने जीवन का कल्याण कर सकता है। इनसे शत्रुता करने पर उसे कुछ नहीं मिलेगा। वह स्वयं ही द्वेष की अग्नि में जलकर भस्म हो जाएगा। लेकिन ज्ञानी व्यक्ति का कौन क्या बिगाड़ सकता है।
3. चरित्रहीन स्त्री से दुश्मनी
एक बुद्धिमान पुरुष को चरित्रहीन स्त्री के निकट भी नहीं जाना चाहिए। अथवा किसी चरित्रहीन स्त्री से शत्रुता तो कतई भी नहीं करनी चाहिए। चरित्रहीन स्त्री से किसी को प्रेम हो जाए तो उसका विनाश होना तो तय है। ऐसी स्त्री से जितना जल्दी हो सके दूर जाने में ही भलाई है। अगर कोई पुरुष भूलवश यह समझ बैठता है कि वह चरित्रहीन स्त्री उससे प्रेम करती है तो उसका अनर्थ होने ही वाला है ऐसी महिला से धोखा मिलने पर भी दुखी नहीं होना चाहिए। और अपने कार्यों में लगे रहना चाहिए। और उससे प्रतिशोध लेने के विषय में भी सोचना नहीं चाहिए। नहीं तो इसमें उस स्त्री का तो कुछ नुकसान नहीं होगा। बल्कि भला मनुष्य ही मृत्यु को प्राप्त कर लेगा।
जो आचार्य चाणक्य के अनुसार ऐसे किसी भी व्यक्ति और महिला से अकारण ही शत्रुता नहीं करनी चाहिए। किसी को कमजोर समझकर उसका बल पूर्वक भयादोहन नहीं करना चाहिए। ऐसा करने वाला मनुष्य नीच की श्रेणी में आता है। जो मनुष्य जानबूझकर दूसरे की आजिविका पर आघात करता है, दूसरों का अनिष्ट करने के लिए चालें चलता है ऐसा मनुष्य अत्यंत क्रूर होता है।
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