lal kitab: जानिए किन ग्रहों के कारण व्यक्ति हो जाता है डिप्रेशन का शिकार

lal kitab: लाल किताब के अनुसार डिप्रेशन का कारण सिर्फ व्यक्ति की परेशानी ही नहीं होती है बल्कि उसकी कुंडली में मौजूद ग्रह भी होते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार डिप्रेशन का मुख्य कारण जातक की कुंडली में चंद्रमा, बुध और राहु की स्थिति होना ही डिप्रेशन का मुख्य कारण होता है। डिप्रेशन कोई बीमारी नहीं है बल्कि डिप्रेशन बदलती हालत का असर है। कुंडली की अगर बात करें तो चंद्रमा जातक की कंडली में कमजोर-निर्बल अस्त हो तो जातक डिप्रेशन का शिकार हो जाता है। चंद्रमा को शनि, राहु और सूर्य प्रभावित कर रहे हो तो व्यक्ति अवसाद में चला जाता है। चंद्रमा के अस्त होने से व्यक्ति को अधिक डिप्रेशन होता है।
यदि कुंडली में बुध ग्रह भी निर्बल स्थिति में अस्त हो तो जातक डिप्रेशन का शिकार हो जाता है। बुध और चंद्रमा एक साथ हो और दोनों ग्रह कमजोर हो तो जातक गंभीर डिप्रेशन का रोगी बन जाता है। चंद्रमा मन का कारक होता है। और बुध दिमाग और मस्तिक का कारक होता है। यदि दोनों कमजोर स्थिति में अस्त हों तो मन और मस्तिक का संतुलन बिगड़ जाता है।
राहु और चंद्रमा ग्रह एक साथ हों या चंद्रमा को राहु प्रभावित कर रहा हो या कुंडली में कही भी चंद्रमा को राहु देख रहा हो तो जातक ज्यादा सोचने यानि अत्याधिक कल्पनाशील होता है। जिसके कारण वह अवसाद में चला जाता है।
यदि शनि चंद्रमा को प्रभावित करता हो तो जातक को घबराहट का रोगी बना देता है। ऐसी स्थिति में जातक हद से ज्यादा पूजा-पाठ करने लग जाता है। और वह अवसाद में रहता है।
यदि राहु कंडली के 12वें घर में गोचर कर रहा हो तो जातक भारी नुकसान और घाटे के कारण डिप्रेशन में चला जाता है।
राहु 18 माह तक एक राशि में गोचर करता है।
मंगल के कमजोर होने के कारण भी जातक मानसिक रोगी हो जाता है। क्योंकि मंगल साहस का कारक होता है। मंगल के अस्त होने से भी ये समस्या पैदा हो जाती है।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS