विदुर नीति के अनुसार विद्यार्थियों के ये विशेष गुण बनाते हैं उन्हें महान, आप भी जानें

महात्मा विदुर ने अपनी नीतियों में चार ऐसे लक्षणों के बारे में बताया है कि जिस भी विद्यार्थी में ये चार लक्षण होते हैं तो उस पर मां सरस्वती की कृपा बनी रहती है। महात्मा विदुर जोकि धर्मराज के अवतार थे, वे हस्तिनापुर के प्रधानमंत्री एवं कौरवों और पांडवों के काका थे। एक श्राप के कारण स्वयं धर्मराज को एक दासी के घर में जन्म लेना पड़ा था। परन्तु इसके वाबजूद भी विदुर जी महाज्ञानी, धर्मात्मा और एक अच्छे नीतिकार थे। महात्मा विदुर जी की नीतियां इसलिए महत्वपूर्ण हैं कि, वे स्वयं यमराज के अवतार थे। और वे जानते थे कि कौन से कार्य को करने से व्यक्ति महान बनता है। और कौन से कार्य करने से व्यक्ति जीवन में दुख झेलता है। उन्होंने ऐसे सभी प्रकार के मनुष्यों के बारे में अपनी नीति में विस्तार से बताया है। ताकि आने वाली पीढि़यां इस ज्ञान को लेकर अपना जीवन सुखकर बना सकें। और जीवन में कामयाब हो सकें। इसलिए आप ऐसा कह सकते हैं कि स्वयं धर्मराज ने ही मनुष्य को सफलता का राज बताया है। भला धर्मराज के अलावा ये बात आपको अच्छी तरह कौन समझा सकता है। जो सभी मृत्यु लोक के प्राणियों के राज जानते हैं। इसलिए आप सभी को विदुर जी की उन नीतियों के विषय में अवश्य जान लेना चाहिए। महात्मा विदुर ने एक महान व्यक्ति की विद्यार्थी अवस्था के बारे में अपनी विदुर नीति में इस प्रकार वर्णन किया है, आइए आप भी जानें।
शास्त्रों के अनुसार जिन विद्यार्थियों पर मां सरस्वती की कृपा होती है। ऐसे विद्याथ्ीर् दुबले-पतले होते हैं। इनके बाल घने होते हैं। और वे अनुशासन प्रिय होते हैं। ऐसे विद्यार्थियों को बचपन में ही हड्डियों का रोग लग जाता है। जैसे कि पैर में मोच आना या हड्डी टूटना।
शारीरिक लक्षणों के अलावा ऐसे विद्यार्थी के स्वभाव के बारे में विदुर जी कहते हैं कि
यस्य कृत्यं न विघ्नन्ति
शीमुष्णं भयं रति:।
समृद्धिरसमृद्धिर्वा
स व पण्डित उच्यते।।
इस श्लोक में उस विद्यार्थी के लक्षण बताए गए हैं। आइए जानते हैं
1.सर्दी-गर्मी में तटस्थ
महात्मा विदुर के अनुसार जो विद्यार्थी चाहे सर्दी हो या गर्मी। तटस्थ भाव से अपना ध्यान अपनी पढ़ाई पर लगाता है, उस विद्यार्थी का भविष्य उज्ज्वल होता है। जो विद्यार्थी चाहे कितनी भी विपरित परिस्थिति क्यों ना आ जाए, चाहे कितनी भी ठंड क्यों ना लगे, चाहे कितना भी पसीना क्यों ना आए। अपनी मेहनत जारी रखता है, ऐसे विद्यार्थी पर मां सरस्वती की कृपा होती है। ऐसे लक्षण विद्यार्थी के अंदर मां सरस्वती की कृपा से ही आते हैं।
2. अमीरी-गरीबी
महात्मा विदुर के अनुसार जो विद्यार्थी गरीब होने के वाबजूद भी इससे शर्म नहीं करते और जो विद्यार्थी घर से धनवान होने के वाबजूद भी गर्व नहीं करते उन पर मां सरस्वती की कृपा हमेशा रहती है। अगर आप गरीब हैं और आपका पुत्र इसके लिए आपके सामने कभी शिकायत नहीं करता है और आपसे कभी किसी मंहगी चीज की अपेक्षा भी नहीं करता है। तो आपके घर पर तेजस्वी बालक का जन्म हुआ है। साथ ही अगर आप धनवान हैं और आपके पुत्र को इस बात का जरा भी घमंड नहीं है। और वह आपके धन का उपयोग दान करने और दूसरों की मदद करने में खर्च करता है, तो ऐसा पुत्र भी आगे चलकर महान व्यक्ति बनेगा।
3. प्रेम-घृणा को सहने वाला
विदुर जी के अनुसार जो विद्यार्थी अधिक प्रेम मिलने के वाबजूद भी अथवा अधिक घृणा एवं द्वेष मिलने के वाबजूद भी पढ़ाई में मन लगाता है, उस विद्यार्थी पर मां सरस्वती की कृपा बनी हुई है। क्योंकि ऐसे गुण मां सरस्वती की कृपा से ही प्राप्त होते हैं। अगर आपके पुत्र को आपका अधिक लाड़ और प्यार मिलने के वाबजूद भी वह बिगड़ नहीं जाता है तो आपका पुत्र आगे चलकर एक महान व्यक्ति बनेगा। दूसरी तरफ अगर किसी बालक को सदैव अपने घर से द्वेष और घृणा ही मिलती है, और इसके वाबजूद भी वह पढाई में मन लगाता है। तो उस संतान के माता-पिता बहुत भाग्यशाली हैं। क्योंकि ऐसे पुत्र मां सरस्वती के प्रिय होते हैं। ऐसे गुण मां सरस्वती की कृपा से ही प्राप्त होते हैं।
4. स्वार्थ और उदंडता से रहित
महात्मा विदुर के अनुसार अगर आपका पुत्र स्वार्थी और उदंड नहीं है। तो आप बहुत भाग्यवान हैं। बालकों में स्वार्थ का गुण होना आम बात है। परन्तु आपका पुत्र एवं पुत्री स्वार्थ से रहित है तो ऐसे विद्यार्थियों पर मां सरस्वती की कृपा है। ऐसे बालक आगे चलकर बहुत धन कमाते हैं। विदुर जी ने कहा है कि जिस विद्यार्थी में उदंडता नहीं होती वह मां सरस्वती के प्रिय होते हैं। ऐसे व्यक्ति कभी किसी को कष्ट नहीं देते हैं। और ना ही किसी का अपमान करते हैं। ऐसे विद्यार्थी आज्ञाकारी होते हैं। और अपने माता-पिता की हर आज्ञा का पालन करते हैं। जिन विद्यार्थियों में ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं। उन पर मां सरस्वती की कृपा होती है। और ऐसे विद्यार्थी भविष्य में बहुत ही नाम कमाते हैं।
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