Ahoi Ashtami 2020 : अहोई अष्टमी पर इस विधि से करें पूजा, संतान की लंबी उम्र के साथ उनकी सभी परेशानियों का अंत

Ahoi Ashtami 2020 : अहोई अष्टमी पर इस विधि से करें पूजा, संतान की लंबी उम्र के साथ उनकी सभी परेशानियों का अंत
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Ahoi Ashtami 2020 : अहोई अष्टमी का व्रत (Ahoi Ashtami Vrat) महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और उन्हें हर परेशानी से बचाने के लिए करती हैं। लेकिन कुछ महिलाओं का अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami) का पहला व्रत होता है। ऐसे में उनके सामने यह समस्या होती है की वह अहोई अष्टमी की पूजा किस प्रकार से करें तो चलिए जानते हैं अहोई अष्टमी की पूजा विधि।

माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए अहोई माता की पूजा करती हैं। लेकिन यह पूजा आपको पूरे विधान से ही करनी चाहिए तब ही आपको अहोई अष्टमी की पूजा (Ahoi Ashtami Ki Puja) का पूर्ण फल प्राप्त होगा तो चलिए जानते हैं अहोई अष्टमी की संपूर्ण पूजा विधि

अहोई अष्टमी पूजा विधि (Ahoi Ashtami Puja Vidhi)

1. अहोई अष्टमी के दिन सूर्योदय से पहले उठें और घर की अच्छी तरह से सफाई करने के बाद स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।

2. इसके बाद एक साफ चौकी लेकर उस पर गंगाजल छिड़कें और शाम के समय दीवार पर गेरू से अहोई माता का चित्र बनाना चाहिए। आजकल बजारों में अहोई माता का चित्र भी आसानी से उपलब्ध हो जाता है। इस चित्र में स्याहु माता और उनके सात पुत्र अवश्य होने चाहिए।

3.अहोई माता का चित्र स्थापित करने के बाद एक चौक के एक तरफ करवा और दूसरी तरफ कलश को स्थापित करें।

4.इसके बाद एक चांदी की अहोई बनाएं और हर साल व्रत पर इनमें चांदी के दो मोती अवश्य डालें।

5.चांदी से बनी अहोई को भी चौकी पर रखें। इसके बाद रोली और कुमकुम से दीवार पर बने चित्र में अहोई माता का तिलक करें और अक्षत लगाएं। अहोई माता का तिलक करने के बाद चित्र में जो भी लोग हैं सभी का इसी प्रकार से ही तिलक करें।

6.इसके बाद अहोई माता को फूलों का हार अर्पित करें , एक दीपक जलाएं,मां को फल अर्पित करें और इसके साथ ही सास के लिए थाली तैयार करें। जिसमें वस्त्र और श्रृंगार का सामान अवश्य होना चाहिए।

7.इसके बाद एक चावल की कटोरी में मूली और सिंघाड़े और पानी से भरा एक करवा या लोटा रखें। अगर यह करवा, करवा चौथ का हो तो ज्यादा अच्छा है।

8.इसके बाद अहोई अष्टमी की कथा सुनें। कहानी सुनते समय हाथ में लिए गए चावलों को साड़ी के पल्लू से बांध लें। इसके बाद अहोई माता को चौदह पूरी और आठ को पूओं का भोग लगाएं

9.अंत में तारों की छांव में चावलों के साथ अर्ध्य दें और माता को अर्पित किया गया भोजन किसी गाय को खिला दें और इस दिन किसी ब्राह्मण को भी भोजन अवश्य भेजें।

10.इसके बाद अहोई माता से पूजा में हुई किसी भी गलती के लिए क्षमा याचना अवश्य करें और अपने व्रत को सफल बनाने के लिए प्रार्थना करें।

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