Ahoi Ashtami 2020 : 8 या 9 नवंबर जानिए कब है अहोई अष्टमी व्रत,शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Ahoi Ashtami 2020 : 8 या 9 नवंबर जानिए कब है अहोई अष्टमी व्रत,शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
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Ahoi Ashtami 2020 : अहोई अष्टमी का व्रत (Ahoi Ashtami Vrat) माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। करवा चौथ (Karwa Chauth) के बाद सुहागन महिलाओं के लिए यह व्रत अत्यंत ही महत्वपूर्ण होता है। लेकिन यदि आपको साल 2020 में अहोई अष्टमी व्रत की सही तिथि नहीं पता है तो हम आपको आज इसके बारे में बताएंगे तो चलिए जानते हैं अहोई अष्टमी व्रत की सही तिथि।

Ahoi Ashtami 2020 : अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami) के दिन महिलाएं अपनी संतान की दीर्घायु की कामना के लिए अहोई माता की पूजा करती हैं और निर्जल उपवास करती हैं। जिससे उनकी संतान को जीवन में किसी भी तरह की कोई परेशानी न आए। लेकिन साल 2020 में कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि दो दिन पड़ रही है। ऐसे में कई महिलाओं को यह नहीं पता कि उन्हें अहोई अष्टमी का व्रत 8 नवंबर (Ahoi Ashtami Vrat 8 November) को रखना चाहिए या 9 नवंबर को लेकिन हम आपको बताएंगे कि आपको अहोई अष्टमी का व्रत कब रखना चाहिए।

अहोई अष्टमी व्रत 2020 तिथि और शुभ मुहूर्त (Ahoi Ashtami Vrat 2020 Tithi And Shubh Muhurat)

अहोई अष्टमी व्रत 2020 तिथि - 8 नवंबर 2020

अहोई अष्टमी 2020 पूजा शुभ मुहूर्त - शाम 5 बजकर 19 मिनट से शाम 6 बजकर 37 मिनट तक

अवधि - 1 घंटा 18 मिनट

गोवर्धन राधा कुंड स्नान - 8 नवबंर 2020

तारों को देखन के लिए सांझ का समय - शाम 5 बजकर 43 मिनट

अहोई अष्टमी के दिन चंद्रोदय - रात 11 बजकर 44 मिनट

अष्टमी तिथि प्रारंभ - सुबह 7 बजकर 29 मिनट से (8 नवंबर 2020)

अष्टमी तिथि समाप्त - अगले दिन सुबह 6 बजकर 50 मिनट तक (9 नवंबर 2020)

अहोई अष्टमी की पूजा विधि (Ahoi Ashtami Puja Vidhi)

1. अहोई अष्टमी के दिन महिलाओं को सुबह जल्दी उठकर घर को अच्छी तरह से सफाई करनी चाहिए। इसके बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए।

2.इसके बाद शाम के समय दीवार पर गेरू से अहोई माता का चित्र बनाना चाहिए। आजकल बजारों में अहोई माता का चित्र भी आसानी से उपलब्ध हो जाता है। इस चित्र में स्याहु माता और उनके सात पुत्र अवश्य होने चाहिए।

3.इसके बाद एक चावल की कटोरी में मूली और सिंघाड़े और पानी से भरा एक करवा या लोटा रखें। अगर यह करवा, करवा चौथ का हो तो ज्यादा अच्छा है।

4. इसके बाद अहोई अष्टमी की कथा सुनें। कहानी सुनते समय हाथ में लिए गए चावलों को साड़ी के पल्लू से बांध लें। इसके बाद अहोई माता को चौदह पूरी और आठ को पूओं का भोग लगाएं

5. अंत में तारों की छांव में चावलों के साथ अर्ध्य दें और माता को अर्पित किया गया भोजन किसी गाय को खिला दें और इस दिन किसी ब्राह्मण को भी भोजन अवश्य भेजें।

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