Ahoi Ashtami 2020 : अहोई अष्टमी पर जानिए स्याहु माला का रहस्य, महिलाएं क्यों करती हैं इसे गले में धारण

Ahoi Ashtami 2020 : अहोई अष्टमी का व्रत 8 नवंबर 2020 (Ahoi Ashtami Vrat 8 November 2020) को रखा जाएगा। इस दिन महिलाएं अहोई माता (Ahoi Mata) की विधिवत पूजा करके अपनी संतान की दीर्घायु की प्रार्थना करती हैं।अहोई अष्टमी व्रत में महिलाएं स्याहु माला भी धारण करती हैं जो चांदी के दाने और अहोई के लॉकेट से बनी होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन अहोई माला क्यों धारण की जाती है क्या है इसके पीछे का रहस्य अगर नहीं तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे तो चलिए जानते हैं अहोई अष्टमी पर स्याहु माला धारण करने का रहस्य।
अहोई अष्टमी पर स्याहु माला क्यों पहनी जाती है (Ahoi Ashtami Per Syau Mala Kyu Pahani Jati Hai)
अहोई अष्टमी पर संतान लंबी आयु के लिए अहोई अष्टमी व्रत कार्तिक मास के महीने में रखा जाता है। करवा चौथ के बाद अहोई अष्टमी का व्रत महिलाएं अपनी संतान के लिए करती हैं। माताएं अहोई देवी से पुत्रों की लंबी आयु की कामना करती हैं। इस दिन माताएं संकल्प लेती हैं कि हे अहोई माता मैं अपनी संतान की लंबी आयु और सुखमय जीवन के लिए अहोई व्रत कर रही हूं।
अहोई पूजा में चांदी की अहोई बनाई जाती है जिसे स्याहु कहते हैं। कलावे में चांदी के दाने और माता अहोई की मूरत वाले लॉकेट के साथ माला बनाई जाती है। इस स्याहु की पूजा रोली, अक्षत, दूध व भात से की जाती है। व्रती महिलाएं इसे गले में धारण करती हैं। व्रत शुरू करने से लगातार इस माला को दिवाली तक पहनना आनिवार्य होता है। माला की पूजा करने का खास विधान है। पूजा पूरे विधि-विधान से ही करनी चाहिए। पूजा के लिए एक कलश में जल भर कर रखना चाहिए।
पूजा के बाद अहोई माता की कथा सुने और सुनाएं। ऐसा माना जाता है कि स्याहु की माला में हर साल एक दाना बढ़ाया जाता है। इससे अनुसार ही पुत्र की आयु बढ़ती जाती है। वहीं स्याहु की माला की पूजा करना भी आवश्यक है।अहोई का व्रत करवा चौथ के बाद किया जाता है। अहोई अष्टमी बच्चों की खुशहाली के लिए किया जाने वाला व्रत है। माँ रात्रि को तारे देखकर अपने पुत्र के दीर्घायु होने की कामना करती हैं। उसके बाद महिलाएं व्रत खोलती हैं।
नि:संतान महिलाएं पुत्र प्राप्ति की कामना से अहोई अष्टमी का व्रत करती हैं। अहोई का व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए भी किया जाता है। व्रत को करने से घर में खुशहाली आती है। दिवाली के दिन पुत्र करवा के जल से स्नान करते हैं।
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