Amalaki Ekadashi 2021 : आमलकी एकादशी के दिन ऐसे करें आंवले की पूजा, सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य की होगी प्राप्ति

- 25 मार्च 2021, दिन बृहस्पतिवार को आमलकी एकादशी मनायी जाएगी।
- आमलकी एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है।
- जानें, शुभ मुहूर्त और व्रत पारण का समय
Amalaki Ekadashi 2021 : 25 मार्च 2021, दिन बृहस्पतिवार को आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi) मनायी जाएगी। आमलकी एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा करने का विधान हमारे हिन्दू शास्त्रों में बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि आमलकी एकादशी के दिन आंवला वृक्ष की पूजा करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट होते हैं और व्यक्ति को श्रीहरि की कृपा प्राप्त होती है। जिससे व्यक्ति संसार के सभी सुखों को भोगकर अंत में भगवान विष्णु के लोक को जाता है। तो आइए जानते हैं आमलकी एकादशी का शुभ मुहूर्त, व्रत पारण का समय और पूजा विधि के बारे में।
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आमलकी एकादशी 2021 शुभ मुहूर्त (Amalaki Ekadashi 2021 Shubh Muhurt)
आमलकी एकादशी व्रत तिथि : 25 मार्च 2021, दिन गुरुवार
एकादशी तिथि प्रारंभ : 24 मार्च प्रात:काल 10 बजकर 23 मिनट पर
एकादशी तिथि समाप्त : 25 मार्च प्रात:काल 09 बजकर 47 मिनट पर
एकादशी व्रत पारण का समय : 26 मार्च प्रात:काल 06 बजकर 22 मिनट से 08 बजकर 21 मिनट तक
व्रत पारण की अवधि : 02 घंटे
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आमलकी एकादशी पूजा विधि (Amalaki Ekadashi Puja Vidhi)
- आमलकी एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी पवित्र नदी या जलाशय में स्नान करना चाहिए और उसके बाद साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।
- इसके बाद किसी आंवले के वृक्ष के आसपास की जमीन को साफ करके उस वृक्ष की पूजा करनी चाहिए।
- भूमि को साफ करने के बाद आप वहां पर कलश की स्थापना करें और भगवान श्री हरि विष्णु की फोटो या मूर्ति रखें कलश के पास स्थापित करें।
- आमलकी एकादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं और उन्हें वस्त्र आदि समर्पित करें।
- भगवान को वस्त्र अर्पित करने के बाद लक्ष्मीपति भगवान विष्णु को चंदन से टीका करें और उन्हें द्रव्य, सुंगधित फूल, माला, नैवेद्य भी चढ़ाएं।
- भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करके उनकी कथा पढ़े और दूसरे लोगों को सुनें अथवा सुनायें।
- भगवान की कथा पढ़ने और सुनने के बाद भगवान विष्णु की धूप-दीप से आरती करें।
- भगवान विष्णु की आरती करने के बाद उन्हें पीले रंग की मिठाई और आंवले का भोग लगाएं।
- भगवान की पूजा के बाद आंवले के वृक्ष की 11, 21, 51 अथवा 101 बार परिक्रमा करें।
- पूजा के बाद में भगवान विष्णु से पूजा में हुई किसी भी प्रकार की भूल के लिए क्षमा याचना जरुर करें।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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