अमरनाथ यात्रा का चौंकाने वाला सच, नहीं जानता कोई हिंदू, आखिरकार क्यों रखा गया अब तक लोगों को अंजान

Amarnath Yatra Ka Sach: हिंदुओं में पवित्र धर्मिक स्थलों का बहुत ही ज्यादा महत्व है। इन्हीं पवित्र स्थलों में से एक है अमरनाथ धाम। इस पवित्र धर्मिक स्थल में धर्म के लोगों की अगाध आस्था है। प्रत्येक साल अमरनाथ धाम की यात्रा करने लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। लेकिन क्या आपको पता है अमरनाथ यात्रा को लेकर कई ऐसी प्रचलित कहानियां हैं, जिसे शायद आप भी नहीं जानते होंगे। जो कहानी बताने जा रहे हैं उसमें से कुछ झूठी तो कुछ सच है। एक ऐसी कहानी जो अमरनाथ यात्रा को लेकर सदियों से चली आ रही है।
प्राचीन काल से ही कहा जा रहा है कि अमरनाथ यात्रा की पवित्र गुफा को पहली बार एक मुस्लिम गड़रिया ने देखा था। उसका नाम बूटा मलिक बताया जाता है। पुराने समय के लोगों द्वारा बताई गई इस कहानी में मुस्लिम गड़रिया ने 1850 में भगवान शिव का हिमलिंग देखा था। ऐसी मान्यता है कि जब मुस्लिम गड़रिये ने आकर ये बाते लोगों को बताई, तब से अमरनाथ यात्रा की शुरुआत हुई। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि लोग इस मुस्लिम गड़रिये की कहानी को अब तक सच मानते आ रहे थे। लेकिन यह बिना तथ्यों पर आधारित झूठ है और अमरनाथ यात्रा का पुराना इतिहास अनंत काल से है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमरनाथ यात्रा और भगवान शिव के हिमलिंग के साक्ष्य 5वीं शताब्दी में लिखी गई पुराणों से लेकर, 12वीं शताब्दी में कश्मीर में लिखे गए ग्रंथों से भी मिलते हैं। हिमलिंग के साक्ष्य को लेकर कश्मीर पर लिखे गए ग्रंथ राजतरंगिणी में मिलते हैं। ऐसी मान्यता है कि यह साक्ष्य 16वीं शताब्दी में अकबर के शासन में लिखी गई आइन ए अकबरी में बर्फानी का जिक्र है। इस अमरनाथ यात्रा का साक्ष्य 17वीं शताब्दी में औरंगजेब के फ्रेंच डॉक्टर और फ्रैंकोइस बेरनर की किताब और 1842 में ब्रिटिश यात्री GT vegne की किताब में भी मिलते हैं। इन सब साक्ष्यों से साबित होता है कि मुस्लिम गड़रिये वाला कहानी झूठी थी। सच यह है कि बाबा बर्फानी का पौराणिक इतिहास कई हजार साल पुराना है।
Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।
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