जानिए अमावस्या का महत्व

हिन्दू कलेंडर के अनुसार अमावस्या प्रत्येक मास में एक बार ही आती है। हिन्दू धर्मशास्त्रों में अमावस्या तिथि का स्वामी पितृदेव को माना जाता है। अमावस्या के दिन चन्द्रमा नहीं दिखाई देता अर्थात जिसका क्षय और उदय नहीं होता है उसे अमावस्या कहा गया है, तब इसे 'कुहू अमावस्या' भी कहा जाता है। जानकारों के अनुसार विशेष कर चौदस, अमावस्या और प्रतिपदा उक्त 3 दिनों तक पवित्र बने रहने में ही भलाई है। हिन्दू धर्मशास्त्रों में अमावस्या के विभिन्न नाम बताए गए हैं, जैसे अमावस्या, सूर्य-चन्द्र संगम, पंचदशी, अमावसी, अमावासी तथा अमामासी। अमावस्या के दिन स्नान-दान आदि का विशेष महत्व होता है।
1. मान्यताओं के अनुसार अमावस्या सूर्य और चन्द्र के मिलन का काल होता है। इस दिन दोनों ही एक ही राशि में रहते हैं।
2. शास्त्रों के अनुसार भौमवती अमावस्या, सोमवती अमावस्या, आषाढ़ी अमावस्या, मौनी अमावस्या, शनि अमावस्या, हरियाली अमावस्या, कार्तिक (दीपावली) अमावस्या, सर्वपितृ अमावस्या आदि मुख्य अमावस्या होती हैं।
3. अमावस्या के दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति के समस्त दुख समाप्त होते हैं। तथा गंगा स्नान करने से व्यक्ति के पुष्य कर्म जाग्रत होते हैं।
4. प्रत्येक अमावस्या पर हरिद्वार, शिप्रा, ओंकारेश्वर जैसे तीर्थ स्थलों और पवित्र नदियों पर स्नान करने का विशेष महत्व होता है।
5. अमावस्या के दिन पीपल की परिक्रमा करके पीपल तथा श्रीहरि विष्णु का पूजन भी करना चाहिए।
6. अमावस्या के दिन ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देना बहुत ही शुभ होता है।
7. अमावस्या के दिन स्नान करने के बाद गाय और कुत्तों को भोजन खिलाने से पितृ प्रसन्न होते हैं।
8. अमावस्या के दिन गाय को आटे की लोई खिलानी चाहिए।
9. अमावस्या के दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए।
10 अमावस्या के दिन शराब आदि नशे से दूर रहना चाहिए।
11. अमावस्या तिथि में किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान, ध्यान करने से सहस्त्र गौदान का फल मिलता है।
12. अमावस्या के दिन पितृों के निमित्त जरुर गंगा स्नान करना चाहिए। ऐसा करने से पितृ बिना ही किसी कर्मकांड के तृप्त हो जाते हैं और आप के ऊपर प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद देते हैं। ऐसा करने से पितृों की कृपा आप पर बनी रहती है।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS