Amla Navami 2020: जानिए माता महालक्ष्मी ने भी किया था आंवले के पेड़ का पूजन, भगवान शिव और विष्णु हुए थे प्रसन्न

Amla Navami 2020: जानिए माता महालक्ष्मी ने भी किया था आंवले के पेड़ का पूजन, भगवान शिव और विष्णु हुए थे प्रसन्न
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Amla Navami 2020: कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी को अक्षय नवमी का पर्व मनाया जाता है। अक्षय नवमी बहुत प्रभावशाली और परम पवित्र मानी जाती है।

Amla Navami 2020: कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी को अक्षय नवमी का पर्व मनाया जाता है। अक्षय नवमी बहुत प्रभावशाली और परम पवित्र मानी जाती है। वैसे तो भगवान का हर पल और हर क्षण बहुत अनमोल है लेकिन किसी मुहूर्त पर, किसी पर्व पर और किसी विशेष दिन पर भगवान का बहुत अधिक प्रभाव रहता है। और ऐसे दिन पर भगवान की बहुत ही अधिक कृपा रहती है। ऐसे दिन, मुहूर्त और पर्व पर कोई साधना, दान-पुण्य और उपाय आदि कर देने से अत्यधिक लाभ प्राप्त होता है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन आंवला पूजन करने का, आंवला के वृक्ष के नीचे बैठकर के भोजन करने का शास्त्रों में विशेष प्रावधान बताया गया है। और इसका बहुत बड़ा महत्व है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस दिन कुछ प्रयोग और उपाय करने से आपको आरोग्य की प्राप्ति होती है ऐसा शास्त्रीय विधान है।

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यदि आपके पति, आपके परिवार का कोई सदस्य अथवा आप रोग से पीड़ित हैं और आपको दवाई से कोई फायदा नहीं हो रहा है तो आपको आंवला नवमी का व्रत करने से, इस पर्व को मनाने से और आंवला के वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन करने से अवश्य ही शारीरिक लाभ होगा। और इसके साथ-साथ ही सौभाग्य, यश, कीर्ति, ऐश्वर्य, सुख, शांति आदि हर चीज की प्राप्ति होती ही है लेकिन साथ ही साथ आपको शरीर कष्ट में भी लाभ होता है। और आपको फायदा होगा।

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आंवला का वृक्ष पवित्र माना जाता है। इसमें भगवान शिव और भगवान नारायण का निवास माना जाता है। आंवला दान करने से बहुत फायदा होता है।

एक बार माता महालक्ष्मी संसार का भ्रमण कर रही थीं तभी उनके मन में भगवान शिव और भगवान नारायण की पूजा एक साथ करने का ख्याल आया। परन्तु भगवान शिव को बेलपत्र और भगवान नारायण को तुलसी प्रिय है। क्योंकि आंवला में इन दोनों के गुण पाए जाते हैं इसलिए माता महालक्ष्मी ने आंवला के वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान शिव और भगवान विष्णु की साधना की। और भगवान का पूजन किया। और आंवला के वृक्ष के नीचे ही भोजन आदि तैयार किया। और भगवान का भोग लगाया तो उसी दौरान भगवान शिव और भगवान श्रीहरि विष्णु वहां प्रकट हो गए। और माता महालक्ष्मी जी के सामने आए और आंवला के वृक्ष के नीचे बैठकर ही भगवान शिव और भगवान विष्णु ने भोजन किया।

ऐसी मान्यता है कि अगर आंवला नवमी के दिन अगर आप आंवला के वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन कर रहे हैं और आपकी थाली में आंवले का पत्ता गिर जाए तो यह बहुत ही बड़ा चमत्कार है और आपके जीवन में कुछ अच्छा होने की संभावना है। आंवला नवमी के दिन आप शुद्ध और पवित्र होकर आंवला वृक्ष के नीचे जाएं। और वहां बैठकर निर्मल मन से भगवान शिव, भगवान विष्णु और माता महालक्ष्मी का पूजन करें और उनका स्मरण करते हुए ध्यान करें। और वहां पर भोजन तैयार करें। तथा ब्राह्मणों को भोजन कराएं। और साथ ही आप स्वयं भी भोजन करें। और भगवान विष्णु के मंत्रों का जप, उनके नाम का जप करें। अक्षय नवमी पर ऐसा करने से आपको अखंड पुण्य की प्राप्ति होती है। और बहुत अधिक लाभ होता है। रोग और कष्ट से भी आपको छुटकारा मिलता है।

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