Anant Chaturdashi: अनंत सूत्र बांधने की विधि और महत्व, आप भी जानें

Anant Chaturdashi:अनंत चतुदशी का व्रत हम लोग बड़े ही श्रद्धाभाव से रखते हैं। मान्यता है कि भगवान अनंत ने सृष्टि के प्रारंभ में 14 लोकों की रचना की थी। इन लोकों का पालन करने के लिए भगवान स्वयं भी 14 रूपों में प्रकट हो गए। जिससे वह अनंत प्रतीत होने लगे। इसलिए अनंत पूजा के दिन एक पात्र में दूध, शहद, दही, घीऔर गंगाजल को मिलाकर क्षीर सागर का निर्माण किया जाता है। उसके बाद फिर कच्चे धागे से बने 14 गांठों वाले अनंत सूत्र को भगवान अनंत को क्षीर सागर में ढूंढते हैं। पूजा के पश्चात इसी धागे को भगवान का स्वरूप मानकर पुरूष इस धागे को दाये बाजू में बांधते हैं और महिलाएं इस धागे को बांये बाजू में बांधती हैं। अनंत के 14 गांठों में प्रत्येक गांठ एक-एक लोक का प्रतीक होती है। जिसकी रचना भगवान विष्णु ने की है। इन प्रत्येक गांठों में भगवान के उन 14 रुपों का प्रतीक माना जाता है, श्रीहरि के जो रूप 14 लोकों में वास करते हैं। शास्त्रों के अनुसार उपनयन संस्कार के बाद ही 14 गांठों वाला सूत्र की पुरूष को धारण करना चाहिए। और महिलाओं को विवाह के बाद 14 गांठों वाला अनंत सूत्र धारण करना चाहिए। तो आइए जानते हैं अनंत सूत्र धारण करते समय कौन-कौन से नियमों का पालन करना चाहिए।
अनंत सूत्र का महत्व (Anant Sutra Importance)
अनंत सूत्र भगवान विष्णु का प्रतीक होता है। इसलिए जो व्यक्ति इसे धारण करता है उसे मन,क्रम और वचन से वैष्णव होना चाहिए। वैष्णव हाने का मतलब है कि व्यक्ति को झूठ, दूसरों की निंदा, मांस, मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। जो व्यक्ति इस नियम का पालन नहीं करते उन्हें अनंत धारण करने का कोई पुण्य फल नहीं मिलता है।
इस सूत्र को धारण करने वालों के लिए दूसरा नियम यह है कि इसे पूरे वर्ष धारण करें। और अनंत चतुर्दशी के दिन पूजा के समय नये अनंत सूत्र को धारण करते समय पुराने अनंत सूत्र का विसर्जन कर दें। जो व्यक्ति पूरे वर्ष इसे धारण नहीं कर सकते, उन्हें 14 दिन इसे धारण करने के बाद इसे प्रणाम करके किसी नदी में विसर्जित कर देना चाहिए।
अनंत सूत्र की कथा (Anant Sutra story)
एक बार कौण्डिन्य मुनि की पत्नी सुशीला ने सुख, संपत्ति की इच्छा से अनंत चतुर्दशी का व्रत रखा। इसके बाद अनंत सूत्र को अपने बांये हाथ में बांध लिया। भगवान अनंत की कृपा से सुशीला धन-धान्य से संपन्न हो गई। एक दिन कौण्डिन्य मुनि की नजर पत्नी के बाजू पर बंधे अनंत सूत्र पर पड़ी, तो उन्हें लगा कि ये कोई जादू, टोना का धागा है। और उन्होंने उसे तोड़कर आग में फेंक दिया। इससे अनंत भगवान नाराज हो गए। कुछ ही दिनों में कौण्डिन्य मुनि और सुशीला फिर से गरीब हो गए। इसके बाद सुशीला ने अपने पति को बताया कि आपने जनंत सूत्र को तोड़कर जला दिया है। इसलिए हम गरीब हो गए हैं। सुशीला की बात सुनकर कौण्डिन्य मुनि को अपने किए पर पछतावा हुआ। और इसके बाद कौण्डिन्य मुनि ने अनंत भगवान से माफी मांगी। एक दिन गरीब ब्राह्मण के भेष में अनंत भगवान कौण्डिन्य मुनि के आश्रम में पधारे। और मुनि से कहा कि आप पत्नी समेत अनंत भगवान की पूजा करें। इससे आपकी गरीबी दूर हो जाएगी। ब्राह्मण की आज्ञा मानकर मुनि ने पत्नी समेत अनंत भगवान का व्रत रखा और अनंत सूत्र को बाजू पर बांधा। जिससे उनकी गरीबी समाप्त हो गई। इस व्रत के दौरान व्रती को भोजन में नमक का इस्तेमाल बिलकुल भी नहीं करना चाहिए।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS