Annakut 2020: जानिए अन्नकूट की पूजा विधि और कैसे लगाए भगवान को भोग, आज रात ना करें ये काम

Annakut 2020: दिवाली के अगले दिन (आज) यानि कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को मंदिरों में अन्नकूट का उत्सव मनाया जाता है। अन्नकूट उत्सव के दिनों विविध प्रकार की खाद्य सामग्रियों से भगवान श्रीकृष्ण को भोग लगाया जाता है। आज के दिन बली पूजा, मार्गपाली उत्वस भी मनाए जाते हैं। तो आइए आप भी जानें अन्नकूट की पूजा विधि और भोग प्रसाद के बारे में, और आज एक ऐसा कार्य जो भूलकर भी आप ना करें।
अन्नकूट का मतलब है अन्न का समूह। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अन्नकूट की शुरूआत द्वापर युग में हुई थी। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन और गायों की पूजा के निमित्त पके हुए अन्न भोग में लगाए थे। इसलिए इस दिन का नाम अन्नकूट पड़ा। साथ ही इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग चढ़ाए जाते हैं। गोवर्धन की पूजा के लिए अन्नकूट बनाकर पर्वत और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। अन्नकूट तैयार करने के लिए कई प्रकार की सब्जियों का इस्तेमाल किया जाता है। इसे बनाने के लिए मौसमी फल, सब्जियां और अन्न का इस्तेमाल करके प्रसाद बनाया जाता है। साथ ही प्रसाद बनाने के लिए दूध, खोया और चावल से बने मिष्ठान का भी प्रयोग किया जाता है। तो आइए जानते हैं कि अन्नकूट की पूजा विधि क्या है।
अन्नकूट की पूजा विधि
अन्नकूट की पूजा के दिन वरूणदेव और इंद्रदेव की भी पूजा की जाती है। इस दिन विशेष रूप से अन्न की पूजा की जाती है। 56 प्रकार के पकवान और पके हुए चावलों का पर्वत बनाकर उस पर रंगोली बनाई जाती है। इसके बाद श्रीकृष्ण को फूल, पुष्प और नेवैद्य आदि अर्पित किया जाता है।
भगवान श्रीकृष्ण की विधिवत पूजा-अर्चना करने के पश्चात उन्हें धूप और दीप दिखाए जाते हैं। ये प्रसाद दूसरे लोगों में भी वितरित करने का विधान है इसलिए अन्नकूट का प्रसाद दूसरे लोगों में भी बांटा जाता है।
भगवान श्रीकृष्ण को सभी वस्तुओं का भोग लगाएं। उसके बाद प्रसाद के रूप में स्वयं भी ग्रहण करें। अन्नकूट पूजन के दिन घर के सभी सदस्यों के लिए घर की एक ही रसोई में खाना बनाया जाता है। इसके अलावा अन्नकूट पूजन के दिन गायों का श्रृंगार करके उनकी आरती भी की जाती है।
अन्नकूट के दिन ना करें चंद्रमा का दर्शन
अन्नकूट पूजन के दिन चंद्रमा का दर्शन अशुभ माना जाता है। इसलिए आज भूलकर भी चंद्रमा का दर्शन ना करें। अगर आपको चंद्र दर्शन करना हो तो प्रतिपदा तिथि निकल जाने के बाद यानि अगले दिन ही चंद्रमा का दर्शन करें।
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