Gupt Navratri 2021 : आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में करें मां भगवती दुर्गा की इन दस महाविद्याओं की पूजा, जानें मंत्र और पूजन विधि

Gupt Navratri 2021 : आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में करें मां भगवती दुर्गा की इन दस महाविद्याओं की पूजा, जानें मंत्र और पूजन विधि
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  • गुप्त नवरात्रि के दिनों में मां भगवती दुर्गा की दस महाविद्याओं की पूजा करने से साधक को अनेक प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति होती है ।
  • साल 2021 में आषाढ़ गुप्त नवरात्र 11 जुलाई 2021 से 18 जुलाई 2021 तक रहेंगे।

Gupt Navratri 2021 : गुप्त नवरात्रि के दिनों में मां भगवती दुर्गा की दस महाविद्याओं की पूजा करने से साधक को अनेक प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति होती है और इस दौरान साधक अनेक प्रकार की शक्तियां प्राप्त करते हैं। साल 2021 में आषाढ़ गुप्त नवरात्र 11 जुलाई 2021 से 18 जुलाई 2021 तक रहेंगे। तथा इस दौरान मां दुर्गा की सभी महाविद्याओं की गुप्त रूप से साधना करके आप भी अनेक प्रकार की सिद्धियों और शक्तियों के स्वामी बन सकते हैं। तो आइए जानते हैं मां भगवती दुर्गा की दस महाविद्याओं के नाम मंत्र और पूजाकरने की विधि के बारे में...

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पहली महाविद्या मां काली

गुप्त नवरात्रि के पहले दिन मां काली की पूजा के दौरान उत्तर दिशा की ओर मुंह करके काली हकीक माला से पूजा करनी है। इस दिन काली माता के साथ आप भगवान कृष्ण की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से आपकी किस्मत चमक जाएगी। शनि के प्रकोप से भी छुटकारा मिल जाएगा। नवरात्रि में पहले दिन दिन मां काली को अर्पित होते हैं वहीं बीच के तीन दिन मां लक्ष्मी को अर्पित होते हैं और अंत के तीन दिन मां सरस्वती को अर्पित होते हैं।

मंत्र

क्रीं ह्रीं काली ह्रीं क्रीं स्वाहा।

ऊँ क्रीं क्रीं क्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं स्वाहा।

दूसरी महाविद्या मां तारादेवी

दूसरे दिन मां तारा की पूजा की जाती है। इस पूजा को बुद्धि और संतान के लिये किया जाता है। इस दिन एमसथिस्ट व नीले रंग की माला का जप करने हैं।

मंत्र

ऊँ ह्रीं स्त्रीं हूं फट।

तीसरी महाविद्या मां त्रिपुरसुंदरी और मां शोडषी पूजा

अच्छे व्यक्ति व निखरे हुए रूप के लिये इस दिन मां त्रिपुरसुंदरी की पूजा की जाती है। इस दिन बुध ग्रह के लिये पूजा की जाती है। इस दिन रूद्राक्ष की माला का जप करना चाहिए।

मंत्र

ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीये नम:।

चौथी महाविद्या मां भुवनेश्वरी

इस दिन मोक्ष और दान के लिए पूजा की जाती है। इस दिन विष्णु भगवान की पूजा करना काफी शुभ होगा। चंद्रमा ग्रह संबंधी परेशानी के लिये इस पूजा की जाती है।

मंत्र

ह्रीं भुवनेश्वरीय ह्रीं नम:।

ऊं ऐं ह्रीं श्रीं नम:।

पांचवी महाविद्या मां छिन्नमस्ता

नवरात्रि के पांचवे दिन मां छिन्नमस्ता की पूजा होती है। इस दिन पूजा करने से शत्रुओं और रोगों का नाश होता है। इस दिन रूद्राक्ष माला का जप करना चाहिए। अगर किसी का वशीकरण करना है तो उस दौरान इस पूजा करना होता है। राहू से संबंधी किसी भी परेशानी से छुटकारा मिलता है। इस दिन मां को पलाश के फूल चढ़ाएं।

मंत्र

श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैररोचनिए हूं हूं फट स्वाहा।

छठी महाविद्या मां त्रिपुर भैरवी

इस दिन नजर दोष व भूत प्रेत संबंधी परेशानी को दूर करने के लिए पूजा करनी होती है। मूंगे की माला से पूजा करें। मां के साथ बालभद्र की पूजा करना और भी शुभ होगा। इस दिन जन्मकुंडली में लगन में अगर कोई दोष है तो वो सभ दूर होता है।

मंत्र

ऊँ ह्रीं भैरवी क्लौं ह्रीं स्वाहा।

सांतवी महाविद्या मां धूमावती

इस दिन पूजा करने से द्ररिता का नाश होता है। इस दिन हकीक की माला का पूजा करें।

मंत्र

धूं धूं धूमावती दैव्ये स्वाहा।

आंठवी महाविद्या मां बगलामुखी

मा बगलामुखी की पूजा करने से कोर्ट-कचहरी और नौकरी संबंधी परेशानी दूर हो जाती है। इस दिन पीले कपड़े पहन कर हल्दी माला का जप करना है। अगर आप की कुंडली में मंगल संबंधी कोई परेशानी है तो मा बगलामुखी की कृपा जल्द ठीक हो जाएगा।

मंत्र

ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं, पदम् स्तम्भय जिव्हा कीलय, शत्रु बुद्धिं विनाशाय ह्रलीं ऊँ स्वाहा।

नौवीं महाविद्या मां मतांगी

मां मतांगी की पूजा धरती की ओर और मां कमला की पूजा आकाश की ओर मुंह करके पूजा करनी चाहिए। इस दिन पूजा करने से प्रेम संबंधी परेशानी का नाश होता है। बुद्धि संबंधी के लिये भी मां मातंगी पूजा की जाती है।

मंत्र

क्रीं ह्रीं मातंगी ह्रीं क्रीं स्वाहा।

दसवी महाविद्या मां कमला

मां कमला की पूजा आकाश की ओर मुख करके पूजा करनी चाहिए। दरअसल गुप्त नवरात्रि के नौंवे दिन दो देवियों की पूजा करनी होती है।

मंत्र

क्रीं ह्रीं कमला ह्रीं क्रीं स्वाहा

नौ दिनों तक चलने वाले गुप्त नवरात्रि के इस पावन पर्व का समापन पूर्णाहुति हवन एवं कन्याभोज करने के बाद ही करना चाहिए। पूर्णाहुति हवन दुर्गा सप्तशती के मंत्रों से किए जाने का विधान है किन्तु यदि यह संभव ना हो तो देवी के 'नवार्ण मंत्र', 'सिद्ध कुंजिका स्तोत्र' अथवा 'दुर्गाअष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र' से हवन संपन्न करना भी श्रेयस्कर रहता है।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi।com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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