अविधवा नवमी पर कौन लोग नहीं कर सकते मां का श्राद्ध, आप भी जानें

अविधवा नवमी पर कौन लोग नहीं कर सकते मां का श्राद्ध, आप भी जानें
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अविधवा नवमी पर पति से पहले मर जाने वाली सुहागिन महिलाओं का श्राद्ध किया जाता है। जैसा कि इसके नाम से ज्ञात होता है अ+विधवा अर्थात जो स्त्री विधवा नहीं है। नवमी यानि पितृ पक्ष की नौ तारीख अथवा नौवीं तिथि के दिन यह श्राद्ध किया जाता है। यह दिन भी पितृ पक्ष के दौरान मनाये जाने वाले एक दिन जैसा ही है। श्राद्ध पक्ष में अलग-अलग तिथियों का महत्व भी अलग-अलग होता है। इस दौरान श्रद्धालु अपने पितृों की शांति के लिए श्राद्ध करते हैं। जिससे वो पितृों को प्रसन्न कर उनसे सुखी जीवन का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें। तो आइए आप भी जानें कि कौन लोग अविधवा नवमी के दिन माता का श्राद्ध नहीं कर सकते हैं।

अविधवा नवमी पर पति से पहले मर जाने वाली सुहागिन महिलाओं का श्राद्ध किया जाता है। जैसा कि इसके नाम से ज्ञात होता है अ+विधवा अर्थात जो स्त्री विधवा नहीं है। नवमी यानि पितृ पक्ष की नौ तारीख अथवा नौवीं तिथि के दिन यह श्राद्ध किया जाता है। यह दिन भी पितृ पक्ष के दौरान मनाये जाने वाले एक दिन जैसा ही है। श्राद्ध पक्ष में अलग-अलग तिथियों का महत्व भी अलग-अलग होता है। इस दौरान श्रद्धालु अपने पितृों की शांति के लिए श्राद्ध करते हैं। जिससे वो पितृों को प्रसन्न कर उनसे सुखी जीवन का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें। तो आइए आप भी जानें कि कौन लोग अविधवा नवमी के दिन माता का श्राद्ध नहीं कर सकते हैं।

पितृ पक्ष की नवमी तिथि मृत विवाहित स्त्रियों के लिए नीयत की गई है। अविधवा नवमी के दिन पंडित को 16 श्रृंगार की सामग्री दान दें।

ब्राह्मण या ब्राह्मणी को अपने घर निमंत्रित करके भोजन करवाएं। अथवा किसी सुहागिन स्त्री को 16 श्रृंगार की सामग्री दान दें और उसे भोजन करवाएं।

अगर आप इस दिन अपने यश और शक्ति के हिसाब से दान करते हैं तो आपकी सभी मनोकामनाएं जल्दी ही पूरी हो जाती हैं।

पति के जीवित रहते जिस स्त्री का निधन हो उसे अहेव कहते हैं। और मरने के बाद उसे सधवा कहा जाता है। एक से अधिक माता का देहांत सधवा स्थिति में हो तो उन माताओं का श्राद्ध अविधवा नवमी को एक तंत्रीय पदति से करना चाहिए।

बताया जाता है कि जिस स्त्री का देहांत हो चुका हो और उसका पुत्र ना हो या पुत्र का भी देहांत हो चुका हो तो उसके बच्चे अविधवा नवमी का श्राद्ध ना करें।

शास्त्रों के अनुसार अगर सौतेली मां जीवित हो और सगी माता का निधन हो जाए तो पुत्र को यह श्राद्ध करना चाहिए। और सगी मां जीवित हो तथा सौतेली माता का निधन हो जाए तो भी पुत्र को यह श्राद्ध करना चाहिए।

जिस स्त्री का देहांत हो चुका है, और उसका लड़का नहीं है तो अविधवा नवमी पर उसका श्राद्ध पुत्री या जमाई नहीं कर सकते हैं।

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