Bach Baras 2021: बछ बारस की कहानी सुनने और पढ़ने से पुत्र होते हैं दीर्घायु, एक क्लिक में पढ़ें इसकी कथा

Bach Baras 2021: बछ बारस का पर्व प्रतिवर्ष जन्माष्टमी के चार दिन पश्चात यानी भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन गाय और बछड़े की पूजा करने से सभी देवताओं का आशीर्वाद मिल जाता है। बछ बारस का पर्व साल 2021 में 04 सितंबर को मनाया जाएगा। इस पर्व को गोवत्स द्वादशी के नाम से भी जाना जाता है। पुत्र की दीर्घायु की कामना से माताए इस व्रत को रखती हैं और इस व्रत की कथा सुनती अथवा पढ़ती है। ऐसी मान्यता है कि बछ बारस की कथा सुनने अथवा पढ़ने के बिना व्रत का फल नहीं मिलता है। तो आइए जानते हैं इस व्रत की कहानी के बारे में...
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इसके बाद बछ बारस आयी और सभी ने कहा किए अपना तालाब पूरा भर गया है इसकी पूजा करने चलो।साहूकार अपने परिवार के साथ तालाब की पूजा करने गया। वह दासी से बोल गया था किए गेहुला को पका लेना। गेहुला से तात्पर्य गेहू के धान से है। दासी समझ नही पाई। दरअसल गेहुला गाय के बछड़े का नाम था। उसने गेहुला को ही पका लिया। बड़े बेटे की पत्नी भी पीहर से तालाब पूजने आ गयी थी। तालाब पूजने के बाद वह अपने बच्चो से प्यार करने लगी तभी उसने बड़े बेटे के बारे में पूछा।
तभी तालाब में से मिट्टी में लिपटा हुआ उसका बड़ा बेटा निकला और बोला की मां मुझे भी तो प्यार करो। तब सास बहु एक -दूसरे को देखने लगी। सास ने बहु को बलि देने वाली सारी बात बता दी। फिर सास ने कहा की बछबारस माता ने हमारी लाज रख ली और हमारा बच्चा वापस दे दिया। तालाब की पूजा करने के बाद जब वह वापस घर लौटे तो उन्होंने देखा बछड़ा नहीं था। साहूकार ने दासी से पूछा की बछड़ा कहा है तो दासी ने कहा कि, आपने ही तो उसे पकाने को कहा था।
साहूकार ने कहा कि, एक पाप तो अभी उतरा ही है तुमने दूसरा पाप कर दिया। साहूकार ने पका हुआ बछड़ा मिट्टी में दबा दिया। शाम को गाय वापस लौटी तो वह अपने बछड़े को ढूंढने लगी और फिर मिट्टी खोदने लगी। तभी मिट्टी में से बछड़ा निकल गया। साहूकार को पता चला तो वह भी बछड़े को देखने गया। उसने देखा कि बछडा गाय का दूध पीने में व्यस्त था। तब साहूकार ने पूरे गांव में यह बात फैलाई कि हर बेटे की मां को बछबारस का व्रत करना चाहिए और तालाब पूजना चाहिए। हे बछबारस माता ! जैसा साहूकार की बहु को दिया वैसा हमे भी देना। कहानी कहते सुनते ही सभी की मनोकामना पूर्ण करना। इसके बाद गणेश जी की कहानी कहे।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi।com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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