Basant Panchami 2022: बसंत पंचमी पर ऐसे करें सरस्वती पूजन, जानें उनका मंत्र

Basant Panchami 2022: बसंत पंचमी पर ऐसे करें सरस्वती पूजन, जानें उनका मंत्र
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Basant Panchami 2022: बसंत पंचमी हिन्दुओं का प्रमुख पर्व है। माघ शुक्ल पंचमी के दिन यह पर्व मनाया जाता है। वहीं हिन्दू सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन विद्या की देवी मां सरस्वती का जन्म हुआ था। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है और इसी दिन से बसंत ऋतु का आगमन होता है। मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए इस दिन लोग हवन, पूजा-पाठ आदि करते हैं। तो आइए जानते हैं बसंत पंचमी के दिन सरस्वती देवी को कैसे प्रसन्न करें।

Basant Panchami 2022: बसंत पंचमी हिन्दुओं का प्रमुख पर्व है। माघ शुक्ल पंचमी के दिन यह पर्व मनाया जाता है। वहीं हिन्दू सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन विद्या की देवी मां सरस्वती का जन्म हुआ था। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है और इसी दिन से बसंत ऋतु का आगमन होता है। मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए इस दिन लोग हवन, पूजा-पाठ आदि करते हैं। तो आइए जानते हैं बसंत पंचमी के दिन सरस्वती देवी को कैसे प्रसन्न करें।

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पूजा विधि

बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने के लिए सबसे पहले एक जगह को साफ कर लें और सरस्वती की प्रतिमा रखें। कलश स्थापित कर सबसे पहले भगवान गणेश का नाम लेकर पूजा करें। सरस्वती माता की पूजा करते समय सबसे पहले उन्हें आमचन और स्नान कराएं। माता को पीले रंग के फूल अर्पित करें, माला और सफेद वस्त्र पहनाएं फिर मां सरस्वती का पूरा श्रृंगार करें। माता के चरणों पर गुलाल अर्पित करें। सरस्वती मां पीले फल या फिर मौसमी फलों के साथ-साथ बूंदी चढ़ाएं। माता को मालपुए और खीर का भोग लगाएं। सरस्वती ज्ञान और वाणी की देवी हैं। पूजा के समय पुस्तकें या फिर वाद्ययंत्रों का भी पूजन करें।

कई लोग बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का पूजन हवन से करते हैं। अगर आप हवन करें तो सरस्वती माता के नाम से 'ओम श्री सरस्वत्यै नम: स्वहा" इस मंत्र से एक सौ आठ बार जाप करें, साथ ही संरस्वती मां के वंदना मंत्र का भी जाप करें।

मां सरस्वती मंत्र

ॐ श्री सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्।।

कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्।

वह्निशुद्धां शुकाधानां वीणापुस्तकमधारिणीम्।।

रत्नसारेन्द्रनिर्माणनवभूषणभूषिताम्।

सुपूजितां सुरगणैब्रह्मविष्णुशिवादिभि:।।वन्दे भक्तया वन्दिता च ।।

सरस्वती वंदना

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता

या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।

या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता

सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं

वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌।

हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌

वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥२॥

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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