Bhadrapada Amavasya 2022: कुशोत्पाटिनी अमावस्या पर आज करें ये काम, जानें इसके फायदे

Bhadrapada Amavasya 2022: कुशोत्पाटिनी अमावस्या धार्मिक अनुष्ठान और कर्मकाण्ड आदि के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण अमावस्या तिथि मानी जाती है। कुशोत्पाटिनी अमावस्या के दिन स्नान, दान, व्रत, धर्म, कर्मकाण्ड, पितृदोष निवारण के लिए तर्पण आदि कार्य के साथ-साथ कालसर्प दोष निवारण के भी उपाय किए जाते हैं। यह अमावस्या तिथि पितृ पक्ष से 15 दिन पहले आती है और कई कारणों से महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस अमावस्या को कई नामों से भी जाना जाता है। पितृ पक्ष से पहले भाद्रपद मास मे आने वाली इस अमावस्या तिथि को पितृ और शनिदेव के साथ-साथ अन्य भी कई प्रकार के उपाय करने से मनुष्य को विशेष लाभ की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि, इस दिन स्नान और दान करने से उसका 100 गुना फल प्राप्त होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आज के दिन एकत्रित की गई कुशा बहुत पवित्र मानी जाती है, इसीलिए इस अमावस्या का एक नाम पवित्रा अमावस्या भी है। आज के दिन एकत्रित की गई कुशा 12 साल तक पवित्र रहती है और उसका प्रयोग 12 सालों तक किया जा सकता है। वहीं कुशोत्पाटिनी अमावस्या के दिन कुछ विशेष कार्य करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और हमारी हर मनोकामना को पूरा करते हैं। तो आइए जानते हैं कुशोत्पाटिनी अमावस्या के दिन किए जाने वाले धार्मिक कार्यों के बारे में...
भाद्रपद्र कुशोत्पाटिनी अमावस्या पर धार्मिक कर्म करने का विधान है, इस दिन स्नान, दान और तर्पण का अधिक महत्व होता है। भाद्रपद कुशोत्पाटिनी अमावस्या के दिन विधि पूर्वक स्नान-दान और तर्पण करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और आपकी सभी इच्छाओं को पूर्ण करते हैं।
कुशोत्पाटिनी अमावस्या के दिन प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी नदी, जलाशय या कुंड में स्नान करने का विधान है। इस दिन प्रात: स्नान के बाद सूर्यदेव को तांबे के पात्र से गुड़ और तिल मिश्रित जल का अर्घ्य देने से सूर्यदेव के साथ में पितृों का भी आशीर्वाद मिलता है।
कुशोत्पाटिनी अमावस्या के दिन स्नान-दान और तर्पण आदि कर्मकाण्ड करने के बाद बहते जल में तिल प्रवाहित करने से पितृों की आत्मा को शांति मिलती है।
कुशोत्पाटिनी अमावस्या के दिन किसी पवित्र नदी या सरोवर अथवा कुण्ड के तट पर पितृों की आत्म शांति के लिए पिंडदान करने से भी पितृ प्रसन्न होकर सुख-ऐश्वर्य और धन-धान्य का आशीर्वाद देते हैं।
कुशोत्पाटिनी अमावस्या के दिन किसी जरुरतमंद गरीब व्यक्ति अथवा ब्राह्मण को दान-दक्षिणा देने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और इस पुण्य का 100 गुना अधिक फल प्राप्त होता है।
कुशोत्पाटिनी अमावस्या के दिन कालसर्प दोष निवारण के लिए पूजा-अर्चना करने से कालसर्प दोष का निवारण हो जाता है।
कुशोत्पाटिनी अमावस्या के दिन शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसो के तेल का दीपक लगाएं और अपने पितरों को स्मरण करें। ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं।
कुशोत्पाटिनी अमावस्या के दिन पीपल की सात परिक्रमा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और आपके घर को धन और ऐश्वर्य से भर देती हैं।
कुशोत्पाटिनी अमावस्या के दिन को शनिदेव का दिन भी माना जाता है। इसलिए इस दिन शनिदेवकी पूजा भी करनी चाहिए। ऐसा करने से शनि के अशुभ प्रभाव शुभ हो जाते हैं और आपके जीवन में एक नई उमंग और कार्य करने का उत्साह उमड़ जाता है।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS