keshavadity mahatmy: भगवान विष्णु ने सूर्यदेव को बताई थी ये बात, आप भी जानिए...

keshavadity mahatmy: भगवान विष्णु ने सूर्यदेव को बताई थी ये बात, आप भी जानिए...
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keshavadity mahatmy: मार्गशीर्ष मास में एक बार भगवान सूर्यदेव अपने सात अश्वों वाले रथ पर सवार होकर आकाश में विचरण कर रहे थे, तभी उन्होंने काशी में भगवान विष्णु को काशी विश्वनाथ जी की पूजा-अर्चना करते हुए देखा। और जिज्ञासा वश आकाश से उतर कर पृथ्वी पर आ गए।

keshavadity mahatmy: मार्गशीर्ष मास में एक बार भगवान सूर्यदेव अपने सात अश्वों वाले रथ पर सवार होकर आकाश में विचरण कर रहे थे, तभी उन्होंने काशी में भगवान विष्णु को काशी विश्वनाथ जी की पूजा-अर्चना करते हुए देखा। और जिज्ञासा वश आकाश से उतर कर पृथ्वी पर आ गए। तथा भगवान विष्णु के पास बैठ गए। जब भगवान कमलनयन श्रीहरि विष्णु की पूजा संपन्न हो गई तो हाथ जोड़कर कौतुहल वश बोले के हे भगवान आप संपूर्ण जगत को रचने वाले, पालन करने वाले और संहार करने वाले है। संपूर्ण जगत आपसे ही उत्पन्न और आप में ही विलीन होता है। फिर आज आप किसकी पूजा कर रहे हैं। आपको पूजन करते देखकर मैं कौतूहलवश आपके पास आया हूं। भगवन मेरी जिज्ञासा शांत करने की कृपा करें, और मुझे इस बारे में विस्तार से बताने की कृपा करें। जिससे संपूर्ण जगत का कल्याण हो।

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सूर्यदेव के ऐसे वचन सुनकर भगवान श्रीहरि बोले हे सूर्यदेव संपूर्ण सृष्टि में देवादिदेव महादेव ही सर्वपूज्य देव हैं। महादेव जन्म, मृत्यु और जरा आदि का नाश करने वाले एक मात्र पूज्य देव हैं। जो प्राणी उमापति के अलावा किसी अन्य देवी अथवा देवता की पूजा करता है वह आंखों वाला होने पर भी अंधे व्यक्ति के समान है। क्योंकि काशी में शिवलिंग की पूजा करके मनुष्य चारों पुरुषार्थों को सहज ही प्राप्त कर लेता है। और एक क्षण में ही कई जन्मों के पापों से मुक्त हो जाता है।

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शिवलिंग की आराधना से बढ़कर इस चराचर जगत में दूसरा को पुण्य नहीं हैं। और शिवलिंग को अभिषेक किए हुए जल का सेवन करने से व्यक्ति को सभी तीर्थों में स्नान करने का फल प्राप्त हो जाता है। और जीव जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है। साथ ही संसार में सभी सुखों का भोग करने के बाद शिव लोक को जाता है। हे सूर्यदेव आप भी महान तेज को बढ़ाने वाले भगवान शंकर की पूजा कीजिए।

भगवान विष्णु से शिव की महिमा का वर्णन सुनकर सूर्यदेव ने भगवान विष्णु को गुरु मानकर और उनकी आज्ञा स्वीकार करके काशी में स्फटिक का शिवलिंग बनाकर भगवान शिव की पूजा करने लगे। और तभी से वे केशवादित्य के नाम से विख्यात हुए। जो लोग मार्गशीर्ष मास में केशवादित्य की आराधना करते हैं वे इस संसार में सभी सुख, ऐश्वर्य को भोगते हैं और भगवान की कृपा से उनके घर में धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती है। और अंत में मोक्ष को प्राप्त करते हैं।

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