Bhaum Pradosh Vrat 2021: भौम प्रदोष व्रत कल, करें ऋण मुक्ति के लिए इस अचूक मंत्र का जाप

Bhaum Pradosh Vrat 2021: कई बार व्यक्ति पर ग्रह चाल अथवा अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति करने के कारण आर्थिक परेशानी उसके जीवन में होने लगती है अथवा एस व्यक्ति के सिर पर ऋण का भार बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति आने पर कई बार तो परिवार ही बिखर जाता है और लोगों की अजीविका के साधन और संपत्ति आदि कर्ज में ही समाप्त हो जाती है, लेकिन व्यक्ति को ऐसी स्थिति से निकलने का मार्ग नहीं मिलता। अगर कभी आपके जीवन में भी ऐसी ही स्थिति आ जाए तो धैर्य के साथ उस स्थिति का सामना करना चाहिए और परिवार के लोगों का सहयोग करना चाहिए। तथा ऐसी स्थिति ने निकलने का मार्ग ढूंढना चाहिए। क्योंकि हमारे शास्त्रों में जीवन के सभी पहलुओं पर गंभीर चिंतन करने के बाद सभी समस्याओं के निदान के उपाय बताए गए हैं। तो आइए जानते हैं ऋण मुक्ति के मंत्र और उपायों के बारे में...
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ऋण मुक्ति मंत्र
उज्जैन स्थित अवंतिका तीर्थ के पुरोहित और बाबा महाकाल के उपासक पंडित शिवम जोशी के अनुसार, अगर आपका जीवन समस्याओं से घिर चुका है और आपके सिर पर ऋण का भार अधिक बढ़ गया है तो आप 16 नवंबर 2021, दिन मंगलवार यानि (कल) को भौम प्रदोष योग बन रहा है। तथा आप इस भौम प्रदोष के दिन अथवा जब भी भौम प्रदोष का दिन हो, उस दिन शाम में समय आप सूर्य अस्त के दौरान किसी भी शिव मंदिर में जाएं और पांच बत्ती वाला दीपक जलाये और वहां शिवलिंग के पास बैठकर भगवान आशुतोष शिव के मंत्रों का जाप करें और प्रत्येक मंगलवार को मंगल ग्रह की स्तुति करें।
मंत्र
- ॐ भौमाय नमः
- ॐ मंगलाय नमः
- ॐ भुजाय नमः
- ॐ रुन्ह्र्ताय नमः
- ॐ भूमिपुत्राय नमः
- ॐ अंगारकाय नमः
मंगल ग्रह का स्तुति मंत्र
धरणी गर्भ संभूतं विद्युत् कांति समप्रभम |
कुमारं शक्ति हस्तं तं मंगलम प्रणमाम्यहम ||
क्या करें और क्या ना करें
वहीं उज्जैन स्थित अवंतिका तीर्थ के पुरोहित और बाबा महाकाल के उपासक पंडित शिवम जोशी ने बताया कि, मंगलवार के दिन पड़ने वाली त्रयोदशी तिथि को भौम प्रदोष कहते हैं। भौम प्रदोष के दिन व्यक्ति को नमक, मिर्च का सेवन नहीं करना चाहिए, इससे जल्दी फायदा होता है। वहीं ग्रहों के सेनापति मंगलदेव को शास्त्रों में ऋणहर्ता देव माना जाता है। इस दिन संध्या के समय यदि भगवान भोलेनाथ का पूजन करें तो भोलेनाथ की कृपा से हम लोग जल्दी ही ऋण के बंधन से मुक्त हो सकते हैं। वहीं इस दैवीय सहायता को प्राप्त करने लिए आप थोड़ा सा स्वयं भी पुरुषार्थ करें। तथा पूजा के उपरांत भगवान महाकाल के मंत्र का अधिक से अधि जाप करें।
मंत्र
मृत्युंजयमहादेव त्राहिमां शरणागतम्। जन्ममृत्युजराव्याधिपीड़ितः कर्मबन्धनः।।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi।com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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