Bhishma Ashtami 2022: भीष्म जी का तर्पण करने से तेजस्वी संतान की प्राप्ति होती है, जानें डेट, शुभ मुहूर्त और माघ शुक्ल अष्टमी का महत्व

Bhishma Ashtami 2022: भीष्म जी का तर्पण करने से तेजस्वी संतान की प्राप्ति होती है, जानें डेट, शुभ मुहूर्त और माघ शुक्ल अष्टमी का महत्व
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Bhishma Ashtami 2022: प्रत्येक वर्ष माघ शुक्ल अष्टमी तिथि को भीष्म अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। वहीं साल 2022 में भीष्म अष्टमी का पर्व 08 फरवरी 2022, दिन मंगलवार को है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन गंगापुत्र भीष्म ने अपनी इच्छा से देह त्याग किया था। इस दिन को भीष्म अष्टमी, भीष्म श्राद्ध दिवस के रुप में भी मनाया जाता है।

Bhishma Ashtami 2022: प्रत्येक वर्ष माघ शुक्ल अष्टमी तिथि को भीष्म अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। वहीं साल 2022 में भीष्म अष्टमी का पर्व 08 फरवरी 2022, दिन मंगलवार को है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन गंगापुत्र भीष्म ने अपनी इच्छा से देह त्याग किया था। इस दिन को भीष्म अष्टमी, भीष्म श्राद्ध दिवस के रुप में भी मनाया जाता है। भीष्मजी के नाम से सूर्य को अर्घ्य दें तो संतान हीन दंपत्तियों को संतान की प्राप्ति हो सकती है और आरोग्य आदि प्राप्त होता है। तो आइए जानते हैं भीष्म अष्टमी डेट, शुभ मुहूर्त, भीष्म तर्पण दिवस और उसके महत्व के बारे में...

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भीष्म अष्टमी शुभ मुहूर्त 2022

अष्टमी तिथि प्रारंभ

06:16 AM, 08 फरवरी

अष्टमी तिथि समाप्त

08:31 AM, 09 फरवरी

भीष्म तर्पण दिवस

भीष्मजी को जल अर्पण करें और संतान की प्राप्ति की इच्छा करें तो तेजस्वी आत्मा आती है ऐसा 08 फरवरी 2022 मंगलवार को है इस बार शुक्ल अष्टमी तिथि, धवल निबंध ग्रंथ के अनुसार इस तिथि को भीष्म जी का तर्पण दिवस भी है। ब्रह्मचारी भीष्म जी का तर्पण करने से लड़के लड़कियां तेजस्वी हो सकते हैं।

भीष्म अष्टमी का महत्व

माघ मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को भीष्म अष्टमी मनाई जाती है। भीमा अष्टमी के दिन व्रत रखने को अधिक महत्व दिया जाता है। इस दिन जो भी व्यक्ति तिल के जल से तर्पण करता है। उसे संतान और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही इस दिन व्रत रखने से पापों का नाश भी होता है।

इस दिन भीष्म पितामह की आत्मा की शांति के लिए भी तर्पण किया जाता है। जिससे उनका आर्शीवाद प्राप्त हो सके। जो भी व्यक्ति ऐसा करता है उसे पितामह भीष्म जैसी आज्ञाकारी संतान की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही इस दिन पितामह भीष्म का तर्पण करने से पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है। इसलिए इस व्रत को अधिक महत्व दिया जाता है।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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