Bhishma Ashtami 2022: नौकरी, कारोबार में सफलता के लिए आज जरुर करें इन मंत्रों से भीष्म पितामह का तर्पण, अन्यथा...

Bhishma Ashtami 2022: वैसे तो हिन्दू सनातन धर्म में प्रत्येक दिन और तिथि पर कोई ना कोई व्रत और पर्व होता है, क्योंकि पंचांग के अनुसार सभी दिन किसी विशेष ग्रह और तिथि किसी विशेष देवी-देवता को समर्पित होती हैं। वहीं हिन्दू धर्मशास्त्रों में माघ शुक्ल अष्टमी का विशेष महत्व बताया गया है। क्योंकि इस दिन परम तपस्वी, योद्धा, पित्र भक्त और बाल ब्रह्मचारी भीष्म पितामह ने अपने शरीर का त्याग किया था। इसीलिए तभी से इस दिन को भीष्म अष्टमी के रुप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा, मंत्र जाप और विधि पूर्वक भीष्म जी का तर्पण करने से अभीष्ट और शुभ फलों की प्राप्ति होती है। तो आइए जानते हैं आज भीष्म अष्टमी के अवसर पर अभीष्ट सिद्धि और नौकरी, कारोबार में प्रगति के लिए कैसे करें भीष्म जी का तर्पण और किन मंत्रों का करें आज के दिन जाप...
अभीष्ट सिद्धि हेतु
भीष्माष्टमी के दिन भीष्मजी को तिल, गंध, पुष्प, गंगाजल व कुश मिश्रित अर्घ्य देने से अभीष्ट सिद्ध होता है। अर्घ्य देते समय मंत्र जाप भी जरुरी है।
अर्घ्य मंत्र
वसूनामवताराय शन्तनोरात्मजाय च |
अर्घ्यं ददामि भीष्माय आबालब्रह्मचारिणे ||
नौकरी, कारोबार का उपाय
अगर आपको नौकरी नहीं मिल रही है और आपके घर में परेशानी हैं तो आप आज के दिन भीष्म जी के निमित्त जप-ध्यान, स्नान, दान व श्राद्ध करें। ऐसा करने से आपके जीवन से आर्थिक समस्याएं जाती रहेंगी और आपकी नौकरी-कारोबार में धन लाभ होगा।
भीष्म अष्टमी विशेष
माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को भीष्म अष्टमी कहते हैं। इस तिथि पर व्रत करने का विशेष महत्व है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने पर अपने प्राण त्यागे थे। उनकी स्मृति में यह व्रत किया जाता है। इस दिन प्रत्येक हिंदू को भीष्म पितामह के निमित्त कुश,तिल व जल लेकर तर्पण करना चाहिए। चाहे उसके माता-पिता जीवित ही क्यों न हों। इस व्रत के करने से मनुष्य सुंदर और गुणवान संतान प्राप्त करता है।
माघे मासि सिताष्टम्यां सतिलं भीष्मतर्पणम्।
श्राद्धच ये नरा:कुर्युस्ते स्यु:सन्ततिभागिन:।।
उज्जैन स्थित अवंतिका तीर्थ के पुरोहित पंडित शिवम जोशी ने बताया कि, जो मनुष्य माघ शुक्ल अष्टमी को भीष्म के निमित्त तर्पण, जलदान आदि करता है, उसके वर्षभर के पाप नष्ट हो जाते हैं।
ऐसे करें भीष्म अष्टमी व्रत
भीष्म अष्टमी की सुबह स्नान आदि करने के बाद यदि संभव हो तो किसी पवित्र नदी या सरोवर के तट पर स्नान करना चाहिए। यदि नदी या सरोवर पर न जा पाएं तो घर पर ही विधिपूर्वक स्नानकर भीष्म पितामह के निमित्त हाथ में तिल, जल आदि लेकर अपसव्य (जनेऊ को दाएं कंधे पर लेकर) तथा दक्षिणाभिमुख होकर मंत्रों से तर्पण करना चाहिए।
मंत्र
वैयाघ्रपदगोत्राय सांकृत्यप्रवराय च।
गंगापुत्राय भीष्माय सर्वदा ब्रह्मचारिणे।।
भीष्म: शान्तनवो वीर: सत्यवादी जितेन्द्रिय:।
आभिरभिद्रवाप्नोतु पुत्रपौत्रोचितां क्रियाम्।।
इसके बाद पुन: सव्य (जनेऊ को बाएं कंधे पर लेकर) होकर इस मंत्र से गंगापुत्र भीष्म को अर्घ्य देना चाहिए।
वसूनामवताराय शन्तरोरात्मजाय च।
अर्घ्यंददामि भीष्माय आबालब्रह्मचारिणे।।
Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।
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