Bhishma Ashtami 2022: तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति के लिए भीष्म अष्टमी पर ऐसे करें तर्पण, एक क्लिक में जानें संपूर्ण विधि

Bhishma Ashtami 2022: तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति के लिए भीष्म अष्टमी पर ऐसे करें तर्पण, एक क्लिक में जानें संपूर्ण विधि
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Bhishma Ashtami 2022: भीष्म अष्टमी के दिन भीष्म पितामह ने अपने शरीर का त्याग किया था। पंचांग के अनुसार जिस दिन उन्होंने शरीर का त्याग किया था वह तिथि माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि थी। तभी से माघ शुक्ल अष्टमी तिथि को भीष्म अष्टमी के नाम से जाना जाने लगा। वहीं शास्त्रों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि, माघ शुक्ल अष्टमी के दिन जो व्यक्ति भीष्म जी का तर्पण करता है, उसे उनके समान तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति होती है।

Bhishma Ashtami 2022: भीष्म अष्टमी के दिन भीष्म पितामह ने अपने शरीर का त्याग किया था। पंचांग के अनुसार जिस दिन उन्होंने शरीर का त्याग किया था वह तिथि माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि थी। तभी से माघ शुक्ल अष्टमी तिथि को भीष्म अष्टमी के नाम से जाना जाने लगा। वहीं शास्त्रों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि, माघ शुक्ल अष्टमी के दिन जो व्यक्ति भीष्म जी का तर्पण करता है, उसे उनके समान तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति होती है। इसीलिए इस दिन विधि पूर्वक किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करके भीष्म जी का तर्पण करना चाहिए। तो आइए जानते हैं शास्त्रोक्त विधि से भीष्म जी का तर्पण करने की विधि के बारे में...

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भीष्म अष्टमी तर्पण विधि

1.भीष्म अष्टमी के दिन साधक को किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए और बिना सीले वस्त्र धारण करने चाहिए।

2. इसके बाद दहिने कंधे पर जनेऊ धारण करें। यदि आप जनेऊ धारण नहीं कर सकते तो दहिने कंधे पर गम्छा जरूर रखें।

3. दाहिने कंधें पर गम्छा रखने के बाद हाथ में तिल और जल लें और दक्षिण की और मुख कर लें।

4. इसके बाद वैयाघ्रपदगोत्राय सांकृतिप्रवराय च। गंगापुत्राय भीष्माय प्रदास्येहं तिलोदकम् अपुत्राय ददाम्येतत्सलिलं भीष्मवर्मणे ।। मंत्र का जाप करें।

5. मंत्र जाप के बाद तिल और जल के अंगूठे और तर्जनी उंगली के मध्य भाग से होते हुए पात्र में छोड़े।

7. इसके बाद जनेऊ या गम्छे को बाएं कंधे पर डाल लें और गंगापुत्र भीष्म को अर्घ्य दें।

8. जिसके लिए आप भीष्म पितामह का नाम लेते हुए सूर्य को जल दे सकते हैं या दक्षिण मुखी होकर भी आप किसी वट वृक्ष को जल दे सकते हैं।

9. इसके बाद तर्पण वाले जल को किसी पवित्र वृक्ष या बरगद के पेड़ पर भी चढ़ा सकते है।

10 अंत में हाथ जोड़कर भीष्म पितामह को प्रणाम करें और अपने पितरों को भी प्रणाम करें।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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