Budhvar Vrat : भगवान गणेश की कृपा पाने के लिए करें बुधवार का व्रत और पढ़ें बुद्धदेव की कथा

Budhvar Vrat : भगवान गणेश की कृपा पाने के लिए करें बुधवार का व्रत और पढ़ें बुद्धदेव की कथा
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  • Budhvar Vrat : हिन्दू धर्म के अनुसार बुधवार (Wednesday) को गणेश भगवान (God Ganesha) को समर्पित माना जाता है।
  • भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने के लिए लगातार सात बुधवार व्रत करना चाहिए।
  • बुधवार का व्रत करने से सुख, शांति और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

Budhwar Vrat : हिन्दू धर्म के अनुसार सप्ताह का प्रत्येक वार अलग-अलग किसी ना किसी देवी-देवता को समर्पित होता है। जैसे कि रविवार (Sunday) भगवान सूर्य (God Surya) को, सोमवार (Monday) भगवान शिव (God Shiva) को और मंगलवार (Tuesday) हनुमान जी (Hanuman Ji) को वैसे ही बुधवार (Wednesday) गणेश भगवान (God Ganesha) को समर्पित माना जाता है। गणेश भगवान (God Ganesha) को हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार सर्वप्रथम पूज्यनीय माना जाता है। हिन्दू धर्म में अनेक व्यक्ति गणेश भगवान (God Ganesha) को प्रसन्न करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए बुधवार का व्रत (Wednesday Fast) भी रखते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने के लिए बुधवार व्रत (Wednesday Fast) की शुरुआत से लेकर लगातार अगले सात बुधवार तक व्यक्ति को उपवास करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से मनुष्य को जीवन में सुख, शांति और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। और साथ ही उसके धन और धान्य के भंडार हमेशा भरे रहते हैं। तो आइए जानते हैं बुधवार व्रत की कथा के बारे में।

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बुधवार व्रत कथा (Budhvar Vrat Katha)

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार पौराणिक काल में जब एक साहूकार व्यक्ति मधुसूदन अपनी पत्नी को विदा करवाने के लिए अपनी ससुराल गया। मधुसूदन अपनी ससुराल में कुछ दिन रहा और फिर अपने सास-ससुर से अपनी पत्नी को विदा करने की आज्ञा मांगी। किन्तु मधुसूदन के सास और ससुर बोले कि बेटा आज आज बुधवार का दिन है और बुधवार के दिन कभी भी गमन नहीं करना चाहिए। लेकिन मधुसूदन नहीं माना और हठ करके बुधवार के दिन ही अपनी पत्नी को विदा कराकर अपने शहर को चल पड़ा। रास्‍ते में उसकी पत्नी को प्यास लगी, तो मधुसूदन हाथ में लोटा लेकर पानी लेने के लिए चला गया। किन्तु जैसे ही मधुसूदन पानी लेकर अपनी पत्नी के पास लौटा तो वह यह देखकर आश्चर्यचकित रह गया कि उसके जैसी ही शक्लसूरत और वेश-भूषा वाला एक व्यक्ति उसकी पत्नी के पास रथ में बैठा हुआ है।

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उस व्यक्ति को अपनी पत्नी के साथ बैठा देखकर मधुसूदन क्रोधित हुआ और क्रोध में बोला, 'तू कौन है जो मेरी पत्नी के पास बैठा हुआ है?' दूसरा व्यक्ति बोला, 'यह मेरी पत्नी है। इसे मैं अभी-अभी ससुराल से विदा कराकर ले जा रहा हूं।' मधुसूदन और वह व्यक्ति दोनों परस्पर झगड़ने लगे।

तभी उस राज्य के सिपाही आकर मधुसूदन को पकड़ने लगे। और सिपाहियों ने मधुसूदन की पत्नी से पूछा कि तुम्हारा असली पति कौन है? लेकिन मधुसूदन की पत्नी सिपाहियों के द्वारा पति के विषय में पूछे जाने पर भपी शांत ही रही, क्योंकि वे दोनों व्यक्ति एक जैसे थे। वह किसे अपना असली पति बताती। इसके बाद मधुसूदन ने भगवान से प्रार्थना की और बोला, 'हे भगवान! यह क्या लीला है कि सच्चा व्यक्ति झूठा बन रहा है। तभी आकाशवाणी हुई कि मूर्ख आज बुधवार के दिन तुझे गमन नहीं करना चाहिए था। परन्तु तूने तो किसी की बात ही नहीं मानी और चल पड़ा।

यह सब भगवान बुद्धदेव की लीला है। तब मधुसूदन ने भगवान बुद्धदेव से प्रार्थना की और अपनी गलती के लिए उनसे क्षमा मांगी। इसके बाद भगवान बुद्धदेव जी अन्तर्ध्यान हो गए। मधुसूदन अपनी स्त्री को लेकर घर आया। इसके बाद से मधुसूदन और उसकी पत्नी नियमपूर्वक बुधवार का व्रत करने लगे। ऐसी मान्‍यता है कि जो भी व्यक्ति इस कथा को पढ़ता है या सुनता है तथा अन्य लोगों को भी सुनाता है, उसको बुधवार के दिन कोई भी यात्रा करने का कोई दोष नहीं लगता है और उसे सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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