Chaitra Navratri 2022: नौ औषधियों में विराजमान हैं नवदुर्गा, जानें ब्रह्मा जी ने क्यों छिपाया यह राज

Chaitra Navratri 2022: नौ औषधियों में विराजमान हैं नवदुर्गा, जानें ब्रह्मा जी ने क्यों छिपाया यह राज
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Chaitra Navratri 2022: हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार, ब्रह्माजी के दुर्गा कवच में वर्णित नवदुर्गा नौ विशिष्ट औषधियों में विराजमान हैं। जोकि कई प्रकार से हमारी रक्षा करती हैं और हमें कई रोगों से बचाती हैं। तो आइए जानते हैं नवदुर्गा के किस स्वरुप का किस औषधि से है संबंध और किस प्रकार ये करती हैं अपना चमत्कार।

Chaitra Navratri 2022: हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार, ब्रह्माजी के दुर्गा कवच में वर्णित नवदुर्गा नौ विशिष्ट औषधियों में विराजमान हैं। जोकि कई प्रकार से हमारी रक्षा करती हैं और हमें कई रोगों से बचाती हैं। तो आइए जानते हैं नवदुर्गा के किस स्वरुप का किस औषधि से है संबंध और किस प्रकार ये करती हैं अपना चमत्कार।

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प्रथम शैलपुत्री (हरड़)

हरड़ कई प्रकार के रोगों में काम आने वाली औषधि है, जिसे हरड़ हिमावती भी कहा जाता है। यह देवी शैलपुत्री का ही एक स्वरूप है और वहीं हरड़ आयुर्वेद की प्रधान औषधियों में प्रमुख है। यह पथया, हरीतिका, अमृता, हेमवती, कायस्थ, चेतकी और श्रेयसी सात प्रकार की होती है।

ब्रह्मचारिणी (ब्राह्मी)

ब्राह्मी को देवी ब्रह्मचारिणी का ही स्वरुप माना जाता है जोकि आयु व याददाश्त बढ़ाकर, रक्तविकारों को दूर कर स्वर को मधुर बनाती है। इसलिए इसे सरस्वती भी कहा जाता है।

चंद्रघंटा (चंदुसूर)

चंदुसूर एक ऎसा पौधा है जोकि धनिए के समान होता है और इस पौधे में मां चंद्रघंटा विराजमान रहती हैं। यह औषधि मोटापा दूर करने में लाभप्रद है इसलिए इसे चर्महंती भी कहते हैं।

कूष्मांडा (पेठा)

मां कूष्मांडा पेठे में विराजमान रहती हैं। इसे कुम्हड़ा भी कहते हैं जो रक्त विकार दूर कर पेट को साफ करने में सहायक है। मानसिक रोगों में यह अमृत समान है।

स्कंदमाता (अलसी)

देवी स्कंदमाता औषधि के रूप में अलसी में विद्यमान हैं। अलसी वात, पित्त व कफ रोगों की नाशक औषधि है।

कात्यायनी (मोइया)

देवी कात्यायनी को आयुर्वेद में कई नामों से जाना जाता है जैसे अम्बा, अम्बालिका व अम्बिका। इसके अलावा इन्हें मोइया भी कहते हैं। यह औषधि कफ, पित्त व गले के रोगों का नाश करती है।

कालरात्रि (नागदौन)

मां कालरात्रि देवी औषधियों में नागदौन औषधि के रूप में जानी जाती हैं। यह सभी प्रकार के रोगों में लाभकारी और मन एवं मस्तिष्क के विकारों को दूर करने वाली औषधि है।

महागौरी (तुलसी)

तुलसी सात प्रकार की होती है सफेद तुलसी, काली तुलसी, मरूता, दवना, कुढेरक, अर्जक और षटपत्र। ये रक्त को साफ कर ह्वदय रोगों का नाश करती है।

सिद्धिदात्री (शतावरी)

दुर्गा का नौवां रूप सिद्धिदात्री है जिसे नारायणी शतावरी कहते हैं। यह बल, बुद्धि एवं विवेक के लिए उपयोगी है।

Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।

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