Chaitra Vinayak Ganesh Chaturthi 2021 : चैत्र विनायक गणेश चतुर्थी डेट, पूजन विधि और जानें इसका महत्व

- भगवान गणेश (Lord Ganesh) का एक नाम विनायक (Vinayak) भी है।
- प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है।
Chaitra Vinayak Ganesh Chaturthi : भगवान गणेश का एक नाम विनायक भी है। हर महीने आने वाले शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रत रखकर भगवान गणेश का पूजन किया जाता है। मान्यता है कि ये व्रत सभी प्रकार के मनोरथों को पूर्ण करता है। अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी तथा पूर्णिमा तिथि के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। तो आइए जानते हैं कि चैत्र माह में विनायक चतुर्थी व्रत कब है।
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चैत्र माह में गणेश विनायक चतुर्थी का व्रत 16 अप्रैल 2021, दिन शुक्रवार को है। इस तिथि पर गणेश जी की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूर्ण होती हैं और साथ ही गणपति बाप्पा का आशीर्वाद भी हमेशा बना रहता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा दोपहर यानी मध्याह्न काल में की जाती है।
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विनायक चतुर्थी का महत्व (Vinayaka Chaturthi Importance)
धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान गणेशी जी की पूजा का विनायक चतुर्थी के दिन विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन गणपति की पूजा करने से सभी बिगड़े कार्य बन जाते हैं। साथ ही हर तरह की बाधाएं भी समाप्त हो जाती हैं। इस वजह से इन्हें विघ्नहर्ता के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि भगवान गणेश अपने भक्तों के सारे विघ्नों को तत्काल ही हर देते हैं। भगवान गणेश बहुत जल्दी ही अपने भक्तों की पुकार को सुनते हैं, वे बहुत जल्दी ही प्रसन्न होने वाले देव माने जाते हैं। गणेश जी थोड़ी सी पूजा और भक्ति से ही प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों की सारी विघ्नों को दूर करते हैं।
विनायक चतुर्थी पूजाविधि (Vinayak Chaturthi Puja Vidhi)
- चैत्र विनायक चतुर्थी के दिन सुबह सबसे पहले जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
- स्वच्छ वस्त्र पहनें, लाल अथवा पीले रंग के वस्त्र ही इस दिन आप धारण करें। क्योंकि यह कलर गणेश जी को बहुत प्रिय है इसलिए इस रंग के वस्त्र धारण करना अधिक शुभ रहता है।
- पूजा की चौकी पर पीला अथवा लाल कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें।
- तत्पश्चात गंगाजल और पुष्प हाथ में लेकर व्रत का संकल्प लें।
- सिन्दूर से गणेश जी का टीका करें। उन्हें दूर्वा अर्पित करें, फल, फूल, नैवेद्व, पान, सुपारी, लौंग, इलायची आदि चढ़ाएं।
- मोदक-लड्डू गणेश जी को अर्पित करें और भगवान गणेश जी को जनेऊ अर्पित करें।
- गणेश चालीसा और ऊँ गं गणपतये नमो नमः मंत्र का जाप करें। शाम के समय फिर से इसी प्रकार पूजन करें और चंद्रमा के दर्शन करके अर्घ्य दें।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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