Chanakya Niti : जानें, चाणक्य की औरत के बारे में कहीं ये बात जो आजतक आपसे छुपाई गई

Chanakya Niti : जानें, चाणक्य की औरत के बारे में कहीं ये बात जो आजतक आपसे छुपाई गई
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  • लोगों को कुछ बातों को अपने जीवन में आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) से जरुर सीखना चाहिए।
  • जानें, चाणक्य नीति के अनुसार स्त्री-पुरुष को कैसे कर्म करने चाहिए।
  • जानें प्रत्येक स्त्री-पुरुष को किस प्रकार की मर्यादा में रहना चाहिए।

Chanakya Niti : आज के समय में हर व्यक्ति बहुत मॉर्डन (Modern) हो चुका है। ये बात सच है वैसे भी हर व्यक्ति मॉर्डन क्यों न हो ये समय ही ऐसा है। यदि आप पुराने ख्यालों में जी रहे हैं तो आपका मजाक (Joke) तो उड़ेगा ही। वहीं यह बात भी सच ही कि परिवर्तन ही संसार का नियम है। लोग तो परिवर्तित होंगे ही और समय के अनुसार परिवर्तित होना भी चाहिए। परन्तु कुछ ऐसी बातें भी हैं जिन्हें हमें आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) से सीखना चाहिए। आचार्य चाणक्य ने अपनी पुस्तक चाणक्य नीति (Chanakya Niti) में यह बताया है कि हर पुरुष और स्त्री (Man and Woman) को किस प्रकार से मर्यादा (Maryada) में रहना चाहिए और स्त्री और पुरुषों के कर्म किस प्रकार के होने चाहिए।

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चाणक्य नीति में स्त्री के बारे में कहा गया है कि स्त्रियों का असत्य बोलना, छल करना, मूर्खता और अपवित्रता ये उनके स्वभाविक गुण होते हैं। वहीं स्त्री में लचक चार गुना अधिक होती है और साहस छह गुना होता है और कामवासना आठ गुना होता है, यानि पुरुषों की तुलना में औरतों में मैथुन करने की इच्छा और क्षमता आठ गुना अधिक होती है।

संभोग की इच्छा रखने वाली स्त्री के साथ यदि संभोग ना किया जाए तो वो अधिक शीघ्र अपनी जवानी खोने लगती है।

चाणक्य ने कहा है कि यदि आप अपनी स्त्री को संभोग से संतुष्ट नहीं कर पाते हैं तो आपका जीचन व्यर्थ है और आपने जिस लड़की से विवाह किया है उसका जीवन भी व्यर्थ कर दिया।

चाणक्य नीति में सुन्दर स्त्री का प्राप्त होना बहुत बड़े तप का फल बताया गया है और यदि स्त्री पुरुष की इच्छा अनुसार चले तो ऐसे पुरुष को अत्यधिक भाग्यवान बताया गया है।

पुरुष का कर्तव्य है कि यदि उसके घर में सुन्दर स्त्री है तो उसकी रक्षा एक रत्न की भांति करनी चाहिए।

जो पुरुष अपनी स्त्री के बिना नहीं रह सकता तो उसे अपनी स्त्री के पास ही रहना चाहिए। क्योंकि स्त्री का वियोग पुरुष को आग के समान अंदर ही अंदर जलाता है।

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वहीं पुरुषों को ऐसी स्त्रियों से दूर रहना चाहिए जो अपने पुरुषों को छोड़कर दूसरे के साथ संबंध बनाती हैं। मिथ्या बोलती हो और बिना किसी काम के अत्यधिक भ्रमण करती हों। चाणक्य नीति में अत्यधिक बोलने वाली स्त्रियों को भ्रष्ट बताया गया है।

ऐसे पुरुष जो दूसरों की स्त्री के साथ संबंध बनाते हैं और हर जाति की स्त्रियों से संबंध बनाने की इच्छा रखते हों, वह अति शीघ्र नष्ट हो जाते हैं। इसलिए पुरुषों का अपनी स्त्री के साथ ही संबंध बनाने चाहिए।

(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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