Chandra Grahan 2021: चंद्र ग्रहण के दौरान मौसम में हो सकते हैं ये बदलाव, जानें इसकी संपूर्ण जानकारी

- सूर्य-चंद्रमा पर हमला करते हैं राहु-केतु
- ग्रहण के दौरान नहीं किए जाते शुभ कार्य
- जानें कहां दिखाई देगा चंद्र ग्रहण
Chandra Grahan 2021: ग्रहण की कथा पौराणिक काल में हुए समुद्र मंथन की कहानी से जुड़ी हुई है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के समय स्वर्भानु दैत्य ने छल से अमृत पीने की कोशिश की थी। उस दौरान चंद्रमा और सूर्यदेव ने उसे देख लिया था और इस बात की जानकारी उन्होंने भगवान विष्णु को दी। विष्णु ने अपने सुर्दशन चक्र से उस राक्षस का सिर धड़ से अलग कर दिया। हालांकि अमृत पीने के कारण दैत्य दो भागों में बंट गया। धड़ वाले हिस्से को केतु और सिर वाले भाग को राहु कहा गया। आइए जानते हैं इस ग्रहण की पूरी कहानी और इस दौरान मौसम में क्या हो सकते हैं बदलाव के बारे में...
सूर्य-चंद्रमा पर करते हैं हमला
राहु-केतु बदला लेने के लिए सूर्य और चंद्रमा पर हमला करते हैं। उनके प्रभाव के कारण दोनों की शक्तियां कुछ समय के लिए कम हो जाती है। इस घटना को ग्रहण कहा जाता है। शास्त्रों में इस घटना को अशुभ माना गया है। इस कारण उस दौरान शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं।
संपूर्ण भारत में नहीं दिखेगा ग्रहण
19 नवंबर को लगने वाला चंद्र ग्रहण संपूर्ण भारत में नहीं दिखाई देगा। भारत के पूर्वोतर राज्यों- असम और अरुणाचल प्रदेश में कुछ पल के लिए आंशिक चंद्र ग्रहण दिखाई दे सकता है।
यहां दिखाई देगा चंद्र ग्रहण
अमेरिका, आस्ट्रेलिया, पूर्वी एशिया और उत्तरी यूरोप में चंद्र ग्रहण दिखाई देगा।
सूतक काल मान्य नहीं होगा
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि 19 नवंबर को लगने वाला यह चंद्र ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण होगा। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार उपछाया चंद्र ग्रहण लगने पर सूतक काल मान्य नहीं होता है। पूर्ण चंद्र ग्रहण लगने पर ही सूतक काल मान्य होता है। पूर्ण चंद्र ग्रहण के शुरू होने से 9 घंटे पहले सूतक काल प्रारंभ हो जाता है।
अगला ग्रहण 4 दिसंबर को
इस चंद्र ग्रहण के बाद अगला ग्रहण 15 दिनों में ही यानी उसी पखवाड़े में 4 दिसंबर मार्गशीर्ष अमावस्या पर होगा। ये पूर्ण सूर्य ग्रहण रहेगा। साथ ही ये इस साल का आखिरी ग्रहण होगा। लेकिन भारत में नहीं दिखाई देने से इसका महत्व नहीं है। इसके बाद साल 2022 में 16 मई को अगला चंद्र ग्रहण होगा। वो भी भारत में नहीं दिखेगा।
ग्रहण काल में भी पूजन
शुक्रवार कार्तिक पूर्णिमा पर भारतीय समयानुसार ग्रहण सुबह 11:30 बजे से शाम 5:35 तक रहेगा। लगभग पूरे देश में ये ग्रहण नहीं दिखाई देने से इसका सूतक भी मान्य नहीं होगा। मंदिरों व घरों में पूजा की जा सकेगी। पूर्णिमा पर ग्रहण का प्रभाव न होने से दान-पुण्य के लिए ये दिन श्रेष्ठ रहेगा। ग्रहण के बाद दो-तीन दिन के भीतर मौसमी बदलाव दिखेगा। जिससे देश के उत्तरी हिस्सों में बर्फबारी और बूंदाबांदी के साथ तेज हवा चल सकती है।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi।com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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