जानिए केतु ग्रह की खासियत, महत्व, प्रभाव और उपाय

जानिए केतु ग्रह की खासियत, महत्व, प्रभाव और उपाय
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केतु ग्रह कुंडली में स्थित 12 भावों पर अलग-अलग तरह से प्रभाव डालता है। इन प्रभावों का असर जातक के प्रत्यक्ष जीवन पर पड़ता है। श्रीराम कथा प्रवक्ता आचार्य उमाशंकर भारद्वाज जी के अनुसार वैदिक ज्योतिष में केतु एक क्रूर ग्रह है, परंतु यदि केतु कुंडली में मजबूत होता है तो जातकों को इसके अच्छे परिणाम मिलते हैं जबकि कमजोर होने पर यह अशुभ फल देता है।

केतु ग्रह कुंडली में स्थित 12 भावों पर अलग-अलग तरह से प्रभाव डालता है। इन प्रभावों का असर जातक के प्रत्यक्ष जीवन पर पड़ता है। श्रीराम कथा प्रवक्ता आचार्य उमाशंकर भारद्वाज जी के अनुसार वैदिक ज्योतिष में केतु एक क्रूर ग्रह है, परंतु यदि केतु कुंडली में मजबूत होता है तो जातकों को इसके अच्छे परिणाम मिलते हैं जबकि कमजोर होने पर यह अशुभ फल देता है।

केतु ग्रह का महत्व

केतु को वैदिक ज्योतिष में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। केतु ग्रह एक छाया ग्रह है। ज्योतिष में केतु ग्रह को एक अशुभ ग्रह माना जाता है। हालांकि ऐसा नहीं है कि केतु के द्वारा व्यक्ति को हमेशा ही बुरे फल प्राप्त हों। केतु ग्रह के द्वारा व्यक्ति को शुभ फल भी प्राप्त होते हैं।

ज्योतिष में राहु को किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है।

केतु ग्रह अध्यात्म, वैराग्य, मोक्ष, तांत्रिक आदि का कारक होता है।

राहु और केतु के कारण सूर्य और चंद्र ग्रहण होता है।

लेकिन धनु केतु की उच्च राशि है, जबकि मिथनु में यह नीच भाव में होता है।

वहीं 27 रुद्राक्षों में केतु अश्विनी, मघा और मूल नक्षत्र का स्वामी होता है।

राहु और केतु दोनों जन्म कुंडली में काल सर्प दोष का निर्माण करते हैं।

वहीं आकाश मंडल में केतु का प्रभाव वायव्य कोण में माना गया है।

केतु की कुछ विशेष परिस्थितियों के कारण जातक यश के शिखर तक पहुंच सकता है।

केतु ग्रह की अनुकूलता

केतु भी राहु की भांति ही एक छाया ग्रह हैं।

केतु विष्णु के मत्स्य अवतार से संबंधित है।

कुछ लोग केतु को उत्तर-पश्चिम दिशा का कारक ग्रह मानते हैं।

यह ग्रह तीन नक्षत्रों का स्वामी है। अश्विनी, मघा एवं मूल।

केतु जिस भाव में बैठेगा उस भाव को अचानक आश्चर्य चकित कर देने वाला फल देगा।

केतु जातक के मोक्ष का कारक होता है। विशेषतया बारहवें भाव में केतु मुक्ति प्रदान करता है।

शास्त्रों के अनुसार "कुजवत केतु" अर्थात नैसर्गिक रूप से केतु मंगल के समान फल देता है।

केतु किसी भी भाव में स्वग्रही ग्रह के साथ बैठा हो तो वह उस भाव और साथी ग्रह के प्रभाव तथा शुभ-अशुभ फल में चार गुणा वृद्धि कर देता है।

केतु ग्रह से संबंधित बातें

रूद्राक्ष

नौमुखी और छह मुखी रुद्राक्ष को चांदी का किनारा लगा कर दाहिनी भुजा में धारण करना चाहिए। धारण करने से पूर्व शिवजी के भैरव रूप की पूजा करनी चाहिए।

रत्न धारण

लहसुनियां 7 से 9 रत्ती तक चांदी या तांबे में मढ़वा कर कच्चे दूध एवं गंगा जल से धो कर, प्राण प्रतिष्ठा कर, सीधे हाथ की अनामिका उंगली में धारण करना चाहिए।

औषधि धारण

अश्वगंध को लाल कपड़े में यंत्र जैसा बांध कर, सीधे हाथ में बांधना चाहिए। कच्चे दूध के बाद गंगा जल से धोना आवश्यक है।

व्रत उपवास

केतु की प्रसन्नता के लिए शनिवार और मंगलवार को व्रत करना चाहिए। उपवास के बाद संध्या काल हनुमान जी के आगे धूप, दीप जलाने के पश्चात मीठा भोजन करना चाहिए। यदि नमक न खाएं तो उत्तम है।

केतु अशुभ प्रभावों के उपाय

ज्योतिष शास्त्र में केतु को पाप ग्रह माना गया है। इसके प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में कई संकट आते हैं। आप कुछ साधारण उपाय करके केतु के अशुभ प्रभाव को कम कर सकते है। जानिए केतु उपायों के बारे में।

1.दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिति को केतु के निमित्त व्रत रखें।

2.भैरवजी की उपासना करें। केले के पत्ते पर चावल का भोग लगाएं।

3. गाय के घी का दीपक प्रतिदिन शाम को जलाएं।

4. हरा रुमाल सदैव अपने साथ में रखें।

5. तिल के लड्डू सुहागिनों को खिलाएं और तिल का दान करें।

6. कन्याओं को रविवार के दिन मीठा दही और हलवा खिलाएं।

7. बरफी के चार टुकड़े बहते पानी में बहाएं।

8. कृष्ण पक्ष में प्रतिदिन शाम को एक दोने में पके हुए चावल लेकर उस पर मीठा दही डाल लें और काले तिल के कुछ दानों को रख दान करें। यह दोना पीपल के नीचे रखकर केतु दोष शांति के लिए प्रार्थना करें।

9. पीपल के वृक्ष के नीचे प्रतिदिन कुत्ते को मीठी रोटी खिलाएं।

10. दो रंग का कंबल किसी गरीब को दान करें।

केतु ग्रह की शांति के उपाय

केतु ग्रह की शांति के लिए ये उपाय शास्त्रों में बताए गए हैं।

1.केतु ग्रह की शांति करने के लिए जातक को सफेद रेशम के धागे को कंगन की तरह हाथ में बांधे।

2. जातक को किसी पवित्र नदी या सरोवर का जल अपने घर में लाकर रखने से केतु ग्रह की शांति होती है।

3. केतु ग्रह को शांत करने के लिए लहसुनिया पहना चाहिए।

4. केतु को शांत करने के लिए जातक को काले, सलेटी रंगों का प्रयोग नही करना चाहिए।

5. 8 मुखी रुद्राक्ष या 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करने से केतु ग्रह की शांति होती है।

6. केतु ग्रह की शांति के लिए जातक को केतु संबधित वस्तुओं का दान करना चाहिए।

7. केतु ग्रह की शांति के लिए जातक को ऊंचाई से गिरते हुए जल में स्नान करना चाहिए।

8. केतु ग्रह की शांति करने के लिए बृहस्पतिवार व्रत का उपवास रखना चाहिए एवं प्रतिदिन भगवान श्री गणेश जी की पूजा-अर्चना व् दर्शन करें।

9. केतु ग्रह की शांति के लिए जातक को तिल, जौ किसी श्री हनुमान मंदिर में या किसी यज्ञ स्थान पर दान करना चाहिए।

10. केतु ग्रह की शांति करने के लिए जातक को अपने सिरहाने सोते समय अपने पास किसी पात्र में जल भर कर रखे और सुबह किसी पेड़ में डाल दे। यह उपाय जातक को 43 दिन लगातार करना हैं।

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