Chhat puja 2020: ऐसे बनाएं खरना का प्रसाद और ये है पूजा विधि, षष्ठी माता होंगी प्रसन्न

Chhat puja 2020: ऐसे बनाएं खरना का प्रसाद और ये है पूजा विधि, षष्ठी माता होंगी प्रसन्न
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Chhat puja 2020: छठ पूजा का महापर्व शुरू हो चुका है। कल नहाय-खाय था और आज खरना है। छठ पूजा का प्रसाद केवल व्रती लोग ही बनाते हैं। और खरना के दिन छठी मैया को दूध और गुड़ से बनी खीर का भोग लगाते हैं।

Chhat puja 2020: छठ पूजा का महापर्व शुरू हो चुका है। कल नहाय-खाय था और आज खरना है। छठ पूजा का प्रसाद केवल व्रती लोग ही बनाते हैं। और खरना के दिन छठी मैया को दूध और गुड़ से बनी खीर का भोग लगाते हैं। पहले जो लोग इस चावल के साथ बनाते थे वे इसे रसिया कहते थे। उसमें चावल के पकने के बाद थोड़ा गुड़ और दूध डाला जाता है। वैसे तो यह प्रसाद गाय के दूध से बनाया जाता है लेकिन आधुनिक शहरों में गाय का दूध आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाता है। इसलिए आप लोग पैकेट वाला दूध भी प्रसाद बनाने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। तो आइए आप भी जानें खरना का प्रसाद बनाने और पूजा विधि के बारे में।

खरना का प्रसाद बनाने की विधि (kharna ka prasad banane ki vidhi)

सबसे पहले प्रसाद बनाने वाली जगह को अच्छी तरह से साफ कर लें। क्योंकि छठ व्रत में साफ-सफाई का विशेष महत्व होता है। सफाई के बाद आज मिट्टी के चूल्हे अथवा गैस स्टोव आदि पर बर्तन में दूध चावल और गुड़ आदि डालकर खरना के प्रसाद की खीर बनाएं। लेकिन ध्यान रखें कि प्रसाद वही व्यक्ति बनाए जो व्रती हो, अन्य लोग व्रती व्यक्ति की मदद तो कर सकता है लेकिन प्रसाद नहीं बना सकता।

प्रसाद बनाते समय ध्यान रखें कि खरना का प्रसाद पीतल के बर्तन में ही बनाएं। क्योंकि पीतल धातु शुद्ध होती है इसलिए कोशिश करें कि पीतल के पतीले आदि में ही खीर बनाएं। क्योंकि किसी भी व्रत-त्योहार आदि में पीतल की धातु का ज्यादा महत्व होता है।

खरना पूजा के दौरान खीर के साथ-साथ गेंहू के आटे की रोटी और चावल के आटे की टिक्की भी कई स्थानों पर बनाई जाती है। तथा इसके साथ-साथ सेम और केला का भोग भी इस दिन लगाया जाता है।

खरना पूजा के दौरान फूल और पान के पत्ते भी पूजा में इस्तेमाल किए जाते हैं। लेकिन पूजा कि सामग्री की व्यवस्था पहले से ही कर ली जाती है।

खरना की पूजा विधि(kharna ki puja vidhi)

प्रसाद तैयार हो जाने के बाद मिट्टी के दो बड़े पात्र और दो छोटे पात्र पूजा स्थल पर रखें। और उनके किनारे पर कुमकुम आदि लगा लें। जिन लोगों के यहां जितने सूप लगते हैं उतने ही बर्तन खरना पूजा के दौरान उपयोग में लाए जाते हैं।

पात्रों के आसन के तौर पर आप फूल अथवा केले के पत्तों का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसलिए फूल अथवा केले के पत्तों के ऊपर मिट्टी के बर्तनों को कुमकुम और सिन्दूर आदि लगाने के बाद रख दें। उसके बाद आप पान-फूल और सुपारी आदि देकर भगवान सूर्यदेव और षष्ठी मैया का भोग लगाने के लिए उनका आवाह्न करें।

इसके बाद आप मिट्टी के बर्तनों में पान-सुपारी आदि के ऊपर खीर-रोटी और चावल के आटे से बनी टिक्की आदि रखें। और भगवान सूर्यदेव और छठी मैया को केला अर्पित करें। सेव आदि फल अर्पित करें। तथा सभी पात्रों के ऊपर फूल-माला चढ़ाएं।

खरना पूजा के दौरान आप चार मिट्टी के दीये जलाएं। और ध्यान रखें कि दीये केवल शुद्ध घी से ही जलाने चाहिए। और दीयों के ऊपर भी कुमकुम-सिन्दूर आदि लगाएं।

एक बर्तन में अलग से प्रसाद रखा जाता है जिसें व्रती लोग ग्रहण करते हैं। तथा जितने मिट्टी के बर्तनों यानि ढकना और ढकनी का प्रयोग पूजा के दौरान किया जाता है उनकी संख्या के बराबर ही इस पूजा में दीपक जलाए जाते हैं। और उसके बाद भगवान का आह्वान कर उनकी स्तुति करके आपकी जो भी इच्छा और मनोकामना होती है उसे आप भगवान से कहें।

भगवान की पूजा-स्तुति आदि करने के बाद व्रती अलग से पात्र में रखे गए प्रसाद को ग्रहण करते हैं। और व्रती लोग प्रसाद को बिलकुल एकांत में ही ग्रहण करते हैं। जिससे उन्हें कोई भी व्यक्ति ना देखें। इसके बाद घर के सभी लोग पूजा स्थल पर आते हैं और भगवान सूर्यदेव और षष्ठी मैया की आराधना करते हैं। और उनको प्रणाम करने के बाद व्रती को भी प्रणाम करते हैं। और व्रती से प्रसाद लेकर ग्रहण करते हैं।

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