Chhath Puja 2021 : छठ लोकगीत 'कांच ही बांस के बहंगिया'...

Chhath Puja 2021: प्रतिवर्ष दिवाली के छह दिन बाद छठी मैय्या की पूजा की जाती है। वहीं छठ पूजा के दौरान नदी, सरोवरों के आसपास का दृश्य देखते ही बनता है। घाटों और तालाबों के किनारे जहां छठ पूजा के लिए लोगों मौजूद रहते हैं, वहीं दूसरी ओर वहां का वातावरण छठ के लोक गीतों की भी सुमधुर ध्वनि से गूंज उठता है और छठ गीतों की मधुर ध्वनि से लोगों का मन मंत्र मुग्ध हो जाता है। वहीं छठ का पर्व संतान सुख और षष्ठी पूजा के साथ ही छठ गीतों के लिए भी प्रसिद्ध है। तो आइए आप भी गाएं एक ऐसा ही एक छठ पर्व पर गाया जाने वाला प्रसिद्ध लोकगीत।
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छठ गीत : कांच ही बांस के बहंगिया
कांच ही बांस के बहंगिया,
बहंगी लचकत जाय
बहंगी लचकत जाय।।
होई ना बलम जी कहरिया,
बहंगी घाटे पहुंचाय।।
कांच ही बांस के बहंगिया,
बहंगी लचकत जाय
बहंगी लचकत जाय।।
बाट जे पूछेला बटोहिया,
बहंगी केकरा के जाय
बहंगी केकरा के जाय।।
तू तो आन्हर होवे रे बटोहिया,
बहंगी छठ मैया के जाय
बहंगी छठ मैया के जाय।।
ओहरे जे बारी छठि मैया,
बहंगी उनका के जाय
बहंगी उनका के जाय।।
कांच ही बांस के बहंगिया,
बहंगी लचकत जाय
बहंगी लचकत जाय।।
होई ना देवर जी कहरिया,
बहंगी घाटे पहुंचाय
बहंगी घाटे पहुंचाय।।
ऊंहवे जे बारि छठि मैया
बहंगी के उनके के जाय
बहंगी उनका के जाय।।
बाट जे पूछेला बटोहिया
बहंगी केकरा के जाय
बहंगी केकरा के जाय।।
तू तो आन्हर होवे रे बटोहिया
बहंगी छठ मैया के जाय
बहंगी छठ मैया के जाय।।
ऊंहवे जे बारी छठि मैया
बहंगी उनका के जाय
बहंगी उनका के जाय।।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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