Chhath Puja 2021: छठ व्रत से होती है संतान प्राप्ति, जानें, पूजन सामग्री, स्नान और इसके नियम

Chhath Puja 2021: दिवाली (Diwali) के बाद छठ (Chhath Parv) पर्व मनाया जाता है। छठ के महापर्व को करना अत्यंत पुण्यदायक है। छठ व्रत कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि को किया जाता है। सूर्य उपासना (Surya Upasna) का यह महापर्व चार दिनों तक मनाया जाता है। छठ पर्व के लिए कई प्रचलित कथाएं हैं। मान्यता है कि जब पांडव जुए में अपना सारा राजपाठ हार गए थे तब द्रोपदी ने छठ का व्रत किया था। आइए जानते हैं द्रोपदी की कथा, छठ पूजन सामग्री, छठ स्नान और संतान देने वाले इस व्रत के बारे में...
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द्रोपदी के व्रत के फल से पांडवों को अपना राजपाठ वापस मिला। इसी तरह छठ का व्रत करने से लोगों के घरों में समृद्धि और सुख आता है। छठ मुख्यरूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश सहित कई क्षेत्रों में मनाया जाता है। छठ पूजा का यह पर्व षष्ठी के दिन किया जाता है। और चार दिन का यह व्रत होता है।
सूर्य की पूजा से अनेक बीमारियों का इलाज भी संभव है। सूर्य पूजा के साथ स्नान किया जाता है। इससे कुष्ठ रोग जैसे गंभीर रोग भी ठीक हो जाते हैं। पुत्र प्राप्ति के लिए छठ का व्रत किया जाता है। और संतान प्राप्ति की मनोकामना इस व्रत से पूर्ण होती है।
छठ पर्व को स्त्री और पुरूष समान रूप से मनाते हैं। छठ पर्व की शुरूआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को और समाप्ति कार्तिक शुक्ल सप्तमी को होती है। इस दौरान व्रतधारी लगातार 36 घंटे तक व्रत रखते हैं। और व्रत के दौरान पानी तक भी ग्रहण नहीं करते हैं।
छठ पूजा की सामग्री
छठ पूजा में बांस निर्मित सूप, टोकरी, मिट्टी के बर्तनों में गन्ने के रस, गुड़, चावल और गेंहू से निर्मित प्रसाद आदि प्रयोग में लाया जाता है। इस दौरान गाए जाने वाले लोक गीतों की मिठास को लोग अपने जीवन में घोलने का प्रयास करते हैं।
जरुरी है स्नान
छठी मैया को प्रसन्न करने के लिए भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। छठी मैया का ध्यान करते हुए लोग मां गंगा, यमुना या किसी अन्य नदी और सरोवर आदि के किनारे लोग इस पर्व को मनाते हैं। छठ व्रत के दौरान भगवान सूर्य की पूजा अनिवार्य है। और इसके साथ ही किसी नदी में स्नान भी किया जाता है।
सफाई का रखा जाता है ध्यान
छठ व्रत करने से पहले घर की साफ-सफाई भी की जाती है। और इस व्रत में साफ-सफाई का बहुत महत्व होता है। इस पर्व के दौरान गांव में अधिक सफाई देखने को मिलती है।
संतान देने वाला व्रत है छठ
नि:संतान लोगों को संतान की प्राप्ति भी इस व्रत के कारण ही होती है। छठ के दौरान सूर्योदय से पूर्व उठकर किसी नदी अथवा तालाब के किनारे खड़े होकर सूर्य देवता का नमन करना चाहिए। जो लोग नियम पूर्वक छठ का व्रत करते हैं उनकी सारी मनोकामनाएं पर्ण हो जाती हैं। इस व्रत के प्रभाव के कारण कोई भी व्यक्ति संतान हीन नहीं रहता है। और लोग सुखी जीवन व्यतीत करने लगते हैं।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi।com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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