Chhath Puja 2022 : अस्त होते सूर्य को आज देंगे अर्घ्य, जानें प्रमुख शहरों में संध्या अर्घ्य का समय, मंत्र और विधि

Chhath Puja 2022 : छठ पर्व का आज तीसरा दिन है, वहीं शनिवार शाम से छठ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो चुका है और आज शाम छठ व्रती अस्ताचलगामी सूर्यदेव को अर्घ्य देंगे और इसके बाद सोमवार सुबह यानि 31 अक्टूबर कह सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करेंगे। वहीं शास्त्रों की मानें तो छठ पूजा अस्त होते हुए सूर्य और उगते हुए सूर्य की आराधना का पर्व है। क्योंकि डूबते हुए सूर्य का मतलब हमारे इतिहास से होता है। कोई भी सभ्यता तभी दीर्घजीवी होती है, जब वह अपने इतिहास को मानकर उनका अनुसरण करें। वहीं उगते हुए सूर्य से भविष्य का अनुमान लगाया जाता है और किसी भी सभ्यता के यशस्वी होने के लिए यह जरूरी भी है कि, वह अपने भविष्य को पूजा जैसी निष्ठा और श्रद्धा से उसका स्वागत करे।
संध्या अर्घ्य और उसका महत्व
छठ पूजा के तीसरे दिन छठी मैया के निमित्त प्रसाद बनाया जाता है और अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए व्रती और उसके परिवार के लोग घाट पर जाते हैं। बांस की टोकरी या सूप में पूजन सामग्री को सजाया जाता है। इसके बाद छठी मैया की पूजा की जाती है और परिवार के लोगों के संग मिलकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
संध्या अर्घ्य का शुभ मुहूर्त
संध्या अर्घ्य की तिथि | 30 अक्टूबर 2022, रविवार |
देश के प्रमुख शहर और संध्या अर्घ्य का समय
शहर का नाम | संध्या अर्घ्य का टाइम |
दिल्ली | शाम 05:38 बजे |
नोएडा | शाम 05:37 बजे |
कोलकाता | शाम 05:00 बजे |
पटना | शाम 05:10 बजे |
मुंबई | शाम 06:06 बजे |
चेन्नई | शाम 05:43 बजे |
रांची | शाम 05:12 बजे |
लखनऊ | शाम 05:25 बजे |
भोपाल | शाम 05:43 बजे |
जयपुर | शाम 05:46 बजे |
देहरादून | शाम 05:32 बजे |
रायपुर | शाम 05:29 बजे |
वाराणसी | शाम 05:19 बजे |
अर्घ्य मंत्र
रविवार शाम शुभ मुहूर्त में अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देते समय "एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते, अनुकम्पय मां देवी गृहाणार्घ्यं दिवाकर" मंत्र का लगातार जप करते रहें।
अर्घ्य देने की विधि
- छठ पूजा के दौरान सूर्यदेव और उनकी बहन छठी मैया की पूजा की जाती है।
- षष्ठी तिथि के दिन शाम के समय पूजन सामग्री को बांस की टोकरी या सूप आदि में सजा लें और उसे लेकर जहां अर्घ्य देना हो उस घाट या तालाब पर जाएं।
- नदी, तालाब के जल में प्रवेश करें और मन ही मन सूर्य भगवान और छठी मैया का ध्यान करते हुए उन्हें प्रणाम करें। तथा अस्त होते हुए सूर्य को अर्घ्य दें।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)
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