Chhath Puja 2022 : उगते सूरज को अर्घ्य का क्या है टाइम, जानें देश के प्रमुख शहरों का शुभ मुहूर्त

Chhath Puja 2022 : देशभर में छठ पर्व की धूम मच रही है और व्रती लोगों के घर और छठ घाट छठ के गीतों की मधुर आवाज से गूंजायमान हो रहे हैं। वहीं आज रविवार, 30 अक्टूबर 2022 को छठ पर्व का तीसरा दिन है और आज संध्या अर्घ्य के साथ छठी मैया और भगवान सूर्य की उपासना का दिन है। वहीं सोमवार, 31 अक्टूबर 2022 को प्रात:काल में उगते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य देकर छठ व्रती इस कठिन व्रत का पारण करेंगे। संतान के उज्जवल भविष्य की कामना से किया जाने वाला यह छठ व्रत अपने आप में एक पौराणिक धरोहर है, जिसे प्रतिवर्ष बड़े ही धूमधाम, श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। छठ व्रत की परंपरा का उल्लेख त्रेता युग में माता सीता और महाभारत काल में अंगदेश के राजा कर्ण और पांडवों की पत्नी द्रोपदी से भी है। कहा जाता है कि, इन महान पुरूषों ने भी छठ व्रत किया था और इस पवित्र व्रत के प्रभाव से इनकी सभी लोगों की मनोकामना पूर्ण हुई। वहीं आज संध्या अर्घ्य देने के बाद व्रती लोग 31 अक्टूबर 2022, दिन सोमवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत संपन्न करेंगे। तो आइए जानते हैं देश के प्रमुख शहरों में उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का समय क्या रहेगा।
छठ पूजा 2022 उषाकालीन अर्घ्य का शुभ मुहूर्त
उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने की तिथि | 31 अक्टूबर 2022, सोमवार |
उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त | सुबह 06:27 बजे से 06:43 बजे तक |
वहीं देश के अलग-अलग शहरों में ये उषाकालीन सूर्य को अर्घ्य देने का समय अलग-अलग रहेगा।
देश के प्रमुख शहरों में उगते हुए सूर्य को अर्घ्य का समय
शहर का नाम | उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का टाइम |
दिल्ली | सुबह 06:33 बजे |
नोएडा | सुबह 06:31 बजे |
गुरुग्राम | सुबह 06:33 बजे |
लखनऊ | सुबह 06:15 बजे |
रायपुर | सुबह 06:06 बजे |
कोलकाता | सुबह 06:27 बजे |
भोपाल | सुबह 06:25 बजे |
जयपुर | सुबह 06:36 बजे |
देहरादून | सुबह 06:31 बजे |
वाराणसी | सुबह 06:05 बजे |
पटना | सुबह 06:30 बजे |
रांची | सुबह 06:27 बजे |
मुंबई | सुबह 06:38 बजे |
चेन्नई | सुबह 06:02 बजे |
सुबह का अर्घ्य देने के बाद 36 घंटे का कठिन व्रत संपन्न होता है और इस अर्घ्य को देने के बाद ही व्रती महिलाएं किसी चीज का सेवन करके व्रत का पारण कर सकती हैं। सुबह के अर्घ्य को दिए बिना इससे पहले व्रती किसी भी चीज का सेवन नहीं कर सकते हैं। संध्या अर्घ्य के बाद रात्रि में छठी मैया के गीत गाने और सुनने का रिवाज है और उसके अगले दिन सूर्योदय के समय उषाकालीन सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)
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